Tuesday 11 September 2018

Leucorrhea (white Discharge) Treatment In Ayurveda

  • Leucorrhea (white Discharge)
Leucorrhea जिसे आम भाषा मे white Discharge कहते हैं। इसे ही आयुर्वेद में श्वेत प्रदर कहा जाता है। यह महिलाओं में होंने वाला रोग है। इस रोग में योनि मार्ग से श्वेत, पिले, हल्के लाल रंग का चिपचिपा गाढ़ा ओर बदबूदार स्त्राव होता है। लेकिन ये स्त्राव अधिकतर श्वेत रंग का होता है इसी कारण इसे श्वेत प्रदर कहते हैं।

Leucorrhea महिलाओं में होने वाली आम समस्या है,जो महिलाओं में पीरियड्स के पहले ओर बाद में सामान्य रूप से होती है। यह समस्या लम्बे समय तक बनी रहने की वजह से गुप्तांगो में जलन, खुजली ओर बेचैनी होती है, अगर ऐसी समस्या रहे तो इसका इलाज अवश्य लेना चाहिए।

इस रोग को नजरअंदाज करने पर गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है,जो जननांगों ओर प्रजनन से संबंधित रोगों का कारण भी बन सकती है। हम इस पोस्ट के जरिए आपको इसके कारण, लक्षण,ओर उपचार के बारे मे जानकारी देंगे।

  • Leucorrhea (White Discharge) के कारण
  • मूत्र मार्ग में संक्रमण
  • योनि में फंगल संक्रमण
  • खून की कमी
  • योनि को ठीक प्रकार से साफ ना रखना
  • शरीर मे रोगप्रतिरोधक क्षमता का कम होना
  • गलत तरीके से संभोग
  • तेज मिर्च मसाले व तले हुए भोजन का अधिक सेवन
  • ज्यादा गर्भ निरोधक दवाओं का सेवन
  • बार बार गर्भपात के कारण
  • पोषण की कमी
  • Leucorrhea (White Discharge) के लक्षण
  • कमजोरी महसूस होना
  • हाथ पैरों ओर कमर में दर्द होना
  • चक्कर आना
  • शरीर मे भारीपन लगना
  • चिड़चिड़ापन, जी मचलाना
  • भूख ना लगना
  • आखों के नीचे काले घेरे होना
  • योनि भाग में खुजली होना
  • पेट मे भारीपन
  • शौच साफ न होना, बार बार पैशाब आना


  • Leucorrhea (white Discharge) का आयुर्वेदिक उपचार
  • पुष्यनुग चूर्ण- यह चूर्ण Leucorrhea के लिए रामबाण औषधि है। इस चूर्ण को रोज सुबह शाम 1-1चम्मच लेने से Leucorrhea रोग से छुटकारा मिलता है।
  • लोध्र- योनि में संक्रमण के लिए लोध्र चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है, इस चूर्ण की रोज 1-1 चम्मच सुबह शाम लेने से संक्रमण के साथ साथ Leucorrhea में फायदा होता है।
  • प्रदान्तक लौह- इसके उपयोग से हाथ पैरों ओर कमर में होने वाले दर्द को आराम मिलता है साथ कि अनियमित मासिक धर्म नियमित हो जाता है ओर साथ ही Leucorrhea रोग से छुटकारा मिलता है।
  • अश्वगन्धा- इस चूर्ण के सेवन से शरीर मे होने वाली कमजोरी दूर होती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • Leucorrhea (White Discharge) के घरेलू उपचार
  • अनार का रोज सेवन करे, इसके दाने ओर रोज इसका रस पीने से Leucorrhea में आराम मिलता है।
  • भुने हुए चने को रोज अपनी डाइट में इस्तेमाल करने से वाइट डिस्चार्ज में फायदा होता है।
  • अंजीर भी वाइट डिस्चार्ज में बहुत ही उपयोगी है,रात को अंजीर भिगो के रख देवे उसे सुबह खाली पेट खाने से वाइट डिस्चार्ज में फायदा होता है।
  • दही का सेवन अपने खाने में रोज करे, दही में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है,संक्रमण से बचाता है।
  • फिटकरी के पानी से रोज योनि को दिन में 2 बार साफ करे जिससे किसी प्रकार का संकमण ना हो।
  • योग
  • योग सभी रोगों में प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में काम करता है, Leucorrhea में आयुर्वेदिक उपचार के साथ साथ योग करने से भी Leucorrhea से छुटकारा पा सकते है। योग जैसे- अनुलोम विलोम, नोकासन, भ्रामरी, शलभासन करे ये सभी योग, योग गुरु से प्रशिक्षण के बाद करे।

Monday 3 September 2018

Fatty Liver (Hepatomegaly) Treatment In Ayurveda

  • Fatty Liver (Hepatomegaly)
Liver हमारे शरीर का सबसे मुख्य अंग होता है, यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रथि हैं। Liver में सामान्य तौर Fat का होना आम बात होती है, लेकिन यह Liver के कुल वजन का 5 से 10% हो जाये, तो Fatty Liver Disease होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसे Hepatomegaly कहा जाता है।

Liver हमारे शरीर की एक छलनी होती है जो पचित भोजन से आये हुए नुकसानदायक प्रदार्थो को रोक लेता है ताकि वो शरीर के बाकी अंगों तक नही पहुँच पाए। इस प्रकिया से हमारे बाकी अंग सुरक्षित रहते हैं। ज्यादा Fat का जमा होने Liver के function को प्रभावित करता है जिससे शरीर न के बराबर काम करने लगता है।

इस बीमारी का पता चलने पर इलाज कराना जरूरी है नही तो Liver को नुकसान हो सकता है, हम पोस्ट के जरिये आपको इसके लक्षण, कारण ओर उपचार के बारे में बताते है।
  • Fatty Liver (Hepatomegaly) के लक्षण
  •  Liver का साइज बढ़ जाना
  • भूख ना लगना
  • थकान लगना
  • पेट के ऊपरी हिस्से या बीच मे दर्द होना
  • जी मिचलाना
  • शरीर मे कमजोरी
  • गर्दन और बाहों के नीचे काले धब्बे हो जाना
  • जीभ पर मेल जम जाना
  • कब्ज
  • Fatty Liver ( Hepatomegaly) के कारण
  • मोटापा (पेट पर)
  • अनुचित आहार
  • शराब का सेवन
  • डियाबिटीज
  • कॉलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर
  • आनुवंशिक
  • ज्यादा तेलिये प्रदार्थो का सेवन
  • Fatty Liver (Hepatomegaly) का आयुर्वेदिक उपचार
  • कंटकारी- कंटकारी Liver ओर Spleen के Enlargment को कम करने में सहायता करता है। कंटकारी के चूर्ण की 1-1 चम्मच सुबह शाम लेने से आराम मिलता है
  • ग्वारपाठा- यह आम तौर सभी जगह उपलब्ध होता है, इसको लेकर पानी से अच्छे से धो ले तथा इसके अंदर वाले हिस्से में काला नमक और अदरक मिलाकर रोज सुबह सुबह सेवन करने से Hepatomegaly में आराम मिलता है।
  • कुटकी- कुटकी liver से सम्बंधित बीमारियों में बहुत ही फायदेमंद होती है, इसके जड़ का चूर्ण लेकर रोज सुबह शाम 1-1 चम्मच शहद के साथ लेने से Hepatomegaly की समस्या दूर हो जाती है।
  • अरोग्यवर्धनी वटी- इस वटी का सेवन रोज सुबह शाम करने से Hepatomegaly में बहुत अधिक फायदा होता है।
  • Fatty Liver (Hepatomegaly) के घरेलू उपचार
  • करेला Fatty liver के बहुत ही उपयोगी होता है हर रोज करेले की सब्जी और इसका जूस पीने से आराम आराम मिलता है।
  • Fatty liver में विटामिन सी एक अच्छा घरलू उपचार है, अच्छे परिणाम के लिए रोज खाली पेट निम्बू ओर संतरे का जूस पिये।
  • रोजाना खाली पेट पके हुए जामुन खाने से Hepatomegaly की समस्या में आराम मिलता है।
  • रोज कच्चा टमाटर का उपयोग करे इससे भी फैटी लिवर की समस्या दूर हो जाती है।
  • योग
  • योग बहुत ही अच्छा उपाय है, fatty liver से बचने के लिये रोज योग करे, जैसे- सूर्य नमस्कार, कपाल भाती, सर्वांगासन, भुजंगासन आदि। योग बहुत ही सावधानी से ओर योग गुरु से प्रशिक्षण के बाद करे।

Monday 27 August 2018

Thyroid Treatment In Ayurveda

  • Thyroid
Thyroid गले मे पाये जानेे वाली ग्रन्थि होती हैं। यह गले के आगे वाले हिस्से में वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागो में पाई जाती हैं, इसका आकार तितली के समान होता हैं। इससे थायरोक्सिन हॉर्मोन बनता है,इस हॉर्मोन के संतुलन बिडग जाने से यह रोग हो जाता है।

थाइराइड शरीर की Metabolic क्रिया को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही यह आयोडिन का उपयोग करके आवश्यक थाइराइड हॉर्मोन्स बनाता है ओर शरीर के सभी हिस्सों तक पहुँचता है।

थाइराइड की समस्या महिलाओं में ज्यादा होती है। महिलाओं में यह रोग समय के साथ बढ़ता जाता है तथा कई बार इसके लक्षण पता होने तक इस रोग की शिकार हो चुकी होती है क्योकि इसके लक्षण समझ मे ही नही आते हैं। सबसे सामान्य थायराइड प्रॉब्लम होती है वो है थायराइड हॉर्मोन्स का सही मात्रा में प्रोडक्शन ना होना।
  • यह दो प्रकार का हो जाता है।
  • हाइपो थयरोइडिस्म
  • इस अवस्था मे व्यक्ति के शरीर मे थायरोक्सिन का स्त्राव अवश्यकता से कम होने लगता है।
  • हाइपर थायरोइडिस्म
  • इस अवस्था मे व्यक्ति के शरीर मे थयरोक्सिन का स्त्राव आवश्यकता से अधिक होने लगता है।
  • Thyroid के कारण
  • दवाइयों के ज्यादा इस्तेमाल ओर उनका साइड इफेक्ट से थायराइड की समस्या हो जाती है।
  • शरीर मे आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने पर भी थायराइड रोग हो जाता हैं।
  • आनुवंशिक कारण
  • ज्यादा तनाव लेने से थायराइड ग्लैंड पर असर पड़ता है।
  • गर्भावस्था के समय हॉर्मोन्स के परिवर्तन इस कारण भी थायराइड की समस्या हो जाती है
  • प्रदूषण भी थायराइड का कारण हो सकता है।
  • Thyroid के लक्षण
  • वजन बढ़ना
  • जल्द थकान महसूस होना
  • त्वचा और नाखून का रूखापन होना
  • यादाश्त कमजोर होना
  • मांसपेसियों ओर जोड़ो में दर्द होना
  • आंखों में सूजन आना
  • पीरियड्स में बदलाव आना
  • Thyroid का आयुर्वेदिक उपचार
  • कचनार- कचनार थायराइड के उपचार के लिए बहुत ही लाभकारी है। कचनार की छाल को लेकर उसका काढ़ा तैयार कर लेवें, उसे दिन में 2 से 3 बार लेते रहे। ऐसा रोज करते रहने से थायराइड से छुटकारा मिल जाता है।
  • अश्वगन्धा- अश्वगन्धा के चूर्ण का 1 चम्मच रोज सुबह शाम दूध के साथ लेने से थायराइड में फायदा होता है।
  • मुलेठी- मुलेठी के सेवन से थायराइड ग्रंथि में संतुलन बना रहता है। मुलेठी के सेवन करते रहने से थायराइड से होने वाली थकान दूर होती है और साथ ही थायराइड की समस्या से छुटकारा मिलता है।
  • ब्राह्मी- ब्राह्मी थायराइड को उत्तेजित करने में मदद करता है, इसके निरंतर उपयोग से थायराइड में आराम मिलता है।
  • Thyriod का घरेलू उपचार
  • थायराइड की समस्या से छुटकारा पाने के लिए दूध ज्यादा से ज्यादा पिये, थायराइड में दूध बहुत ही असरकारक होता है।
  • लौकी का जूस थायराइड में बहुत ही फायदेमंद होता है, इसे रोज सुबह खाली पेट पिने से थायराइड की समस्या दूर हो जाती है।
  • नारियल पानी थायराइड को नियंत्रित करता है, रोज नारियल पानी पीने से थायराइड में आराम मिलता है।
  • काली मिर्च के सेवन से थायराइड को नियंत्रित किया जा सकता है। इसका सेवन आप किसी भी प्रकार से कर सकते है।
  • विटामिन ए थायराइड को कम करने में मदद करता है। हरी पत्तेदार सब्जियों ओर गाजर आदि में विटामिन ए अधिक मात्रा में पाया जाता है।
  • योग
  • योग यह प्राकतिक उपचार होता है, योग शरीर मे किसी भी रूप में फायदा पहुँचता है। योग करने से थायराइड से छुटकारा मिल जाता है। रोज सुबह 20 से 30 मिनट तक योग करने से थायराइड की समस्या पूर्णतया दूर हो जाती है। योग, योग गुरु से प्रशिक्षण लेने के बाद करे। यह योग निम्न है- मत्यासन, हलासन, विपरीत कर्णी आदि।

Friday 24 August 2018

Cervical Pain (गर्दन दर्द) का पूर्ण इलाज

  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द)
सर्वाइकल पैन यानि गर्दन का दर्द जो Cervical Spondylosis के नाम से भी जाना जाता है। यह दर्द आम तौर पर गर्दन को झुकाकर काम करने वालो को अधिक होता है। दिन भर बैठे रहना,सीधा ना चलना, आदि की वजह से हमारी गर्दन में दर्द होने लगता है।

यह दर्द गर्दन के निचले हिस्से ओर कंधो के जोड़ो में होने लगता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है। सर्वाइकल पैन से अधिक उम्र के व्यक्तिओं के साथ साथ छोटे उम्र के बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं।

इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी के डिस्क के बीच की जगह कम होने लगती है ओर नाड़ी पर दबाव बढ़ने लगता है। जिससे जहाँ से होकर ये नाड़ियां जाती है, वहा पर भी दर्द और झुनझुनाहट होने लगता है। सर्वाइकल के इस दर्द को नजरअंदाज करने पर ये दिनों दिन बढ़ता जाता है। इस पोस्ट के जरिये आपको हम इसके बारे में जानकारी देंगे।
  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द) का कारण
  • लम्बे समय तक गर्दन को झुकाये रखना
  • लम्बे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से 
  • ज्यादा ड्राइविंग करना ओर भारी हेलमेट पहनने रखना
  • ऊचे तकिये का प्रयोग करना
  • शरीर मे कैल्शियम और विटामिन डी की कमी होना
  • उम्र के बढ़ने के साथ साथ हड्डियों को क्षय होना
  • शारीरक श्रम का अभाव
  • ज्यादा भारी वजन सिर पर उठाने से सर्वाइकल पैन होता है
  • गर्दन पर अधिक तनाव आना
  • रीढ़ की हड्डी पर चोट आ जाना।
  • मोटापा आदि।
  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द) का लक्षण
  • सिर का दर्द
  • गर्दन में दर्द के साथ चक्कर आना
  • गर्दन ओर कंधो में कड़ापन महसूस होना
  • गर्दन के हिलाने पर पीसने जैसी आवाज आना
  • हाथ ओर उंगलियो में सुन्न हो जाना
  • गर्दन के आस पास की नसों में सूजन का आना
  • खाँसते ओर छीकते समय गर्दन में दर्द होना
  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द) का आयुर्वेदिक उपचार
  • महानारायण तेल- यह तेल सर्वाइकल के दर्द में आराम देता है, इस तेल की दिन में 2 से 3 बार मालिश रोजाना करते रहे दर्द में काफी हद तक आराम मिलता है।
  • दशमूल तेल- दशमूल तेल जोड़ो के दर्द के लिए बहुत उपयोगी होता है, इस तेल को हल्का गर्म करके दर्द वाली जगह हल्की मालिश करने से दर्द में तुरन्त आराम मिलता है।
  • त्रिफला चूर्ण- इस चूर्ण की रोज 1 चम्मच सुबह शाम लेने से सर्वाइकल पैन मे आराम मिलता है  
  • सिंघनाद गुग्गलु- सिंघनाद गुग्गलु जोड़ो के दर्द के लिए काफी असरदार माना गया है,सिंघनाद गुग्गलु की 2-2 गोली सुबह शाम रोज लेते रहने से सर्वाइकल पैन में आराम मिल जाता है।
  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द) का घरेलू उपचार
  • सही तरीके के सोना चाहिए, सोते समय बिस्तर ज्यादा मुलायम ना हो तथा तकिया ज्यादा ऊँचा नही होना चाहिए, इन सब तरीको से आप सर्वाइकल पैन से बच सकते हैं।
  • सरसो ओर लोंग के तेल को अच्छे से मिक्स करके मालिश करने से भी दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • दर्द को कम करने के लिए ठंडा ओर गर्म सेक करते रहे इससे भी सर्वाइकल के दर्द में आराम मिलता है।
  • सर्वाइकल पैन का कई बार तनाव कारण हो जाता है, इसलिए जितना हो सके तनाव को कम करने की कोशिस करे।
  • लहसुन को सरसों के तेल में गर्म करके दर्द की जगह मालिश करने से वह दर्द और सूजन दोनो को कम हो जाते हैं।
  • योग
  • सर्वाइकल पैन से बचने के लिए योग एक प्राकृतिक उपाय है।निरन्तर योग करते रहने से शरीर मे लचीलापन बना रहता है ओर मन को शांति मिलती है। सर्वाइकल पैन के लिए विभिन्न योग जैसे- मत्स्यासन, धनुरासन, भुजंगासन आदि योग करना चाहिए, ध्यान रहे यह सभी योग, योग गुरु से प्रशिक्षण के बाद करे।

Tuesday 21 August 2018

Common Cold (जुखाम) Treatment In Ayurveda

  • Common Cold (जुखाम)
Common Cold जिसे नजला नाम से भी जाना जाता है।यह सबसे ज्यादा होने वाले संक्रामक रोगों में से एक है।जुखाम वायरस (विषाणु) द्वारा फैलने वाला संक्रमण होता है, जो हमारी स्वसन क्रिया के आगे वाले हिस्से को प्रभावित करता है।

जुखाम की कोई स्थायी चिकित्सा नही है। यह रोग 4 से 5 दिनों में स्वतः ही ठीक हो जाता है। लेकिन अक्सर जुखाम को साधारण समझकर ध्यान नही दिया जाता जिसके गंभीर परिणाम हो जाते हैं जैसे- निमोनिया, सायनोसाइटिस आदि बीमारियों का भी कारण बन जाता है।

जुखाम होने पर लोगो के सिर व शरीर मे दर्द ओर भारीपन महसूस होता है जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए जुखाम से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपचार बता रहे हैं, लेकिन इससे पहले हम आपको इसके बारे में थोड़ी जानकारी देंगे।
  • Common Cold (जुखाम) के कारण
  • एलर्जी जैसे-धूल, धुंआ, मौसम का बदलाव आदि
  • इम्युनिटी पॉवर का कम होना
  • वायरस ओर बैक्टीरिया का इन्फेक्शन
  • ठंडी चीजों का अधिक सेवन
  • बारिश में ज्यादा भीगना
  • ठंडी से गरम ओर गरम से ठंडी चीजों का सेवन
  • नाक साफ ना करना
  • Common Cold (जुखाम) के लक्षण
  • नाक बहना, नाक का बन्द होना
  • लगातार छींके आना
  • शरीर का टूटना व दर्द होना
  • सिर दर्द होना,सर्दी लगना
  • शरीर का तापमान बढ़ना
  • गले मे खिंच खिंच होना
  • बुखार हो जाना
  • Common Cold (जुखाम) का आयुर्वेदिक उपचार
  • सितोपलादि चूर्ण- सितोपलादि चूर्ण जुखाम के लिये सबसे ज्यादा उपयोगी है। इसके चूर्ण की  1/2 चम्मच दिन में 2 बार शहद के साथ रोज लेने से जुखाम ठीक हो जाता है।
  • लक्ष्मीविलास रस: लक्ष्मीविलास रस की की 1-1 गोली रोज सुबह शाम पानी के साथ लेने से जुखाम में आराम मिलता है।
  • गिलोय: गिलोय का काढ़ा जुखाम में बेहद फायदेमंद होता है इसके काढ़े को रोज सुबह शाम पीने से जुखाम पूर्णतया ठीक हो जाती है।
  • मुलेठी: मुलेठी के चूर्ण को शहद के साथ सुबह शाम लेने से जुखाम के साथ साथ खांसी भी ठीक हो जाती है।
  • Common cold (जुखाम) के घरेलू उपचार
  • जुखाम होने पर भाप लेने से आराम मिलता है पानी मे विक्स डालकर उसे उबाले ओर उसकी भाप लेवे जिससे जुखाम में फायदा होगा।
  • 1 चम्मच निम्बू रस और 2 चम्मच शहद को मिलाकर लेने से गले की खराश के साथ जुखाम में भी आराम मिलेगा।
  • नहाने के बाद सरसो के तेल को उँगली से नाक में लगाने से जुखाम से बचाव होता है।
  • भुने हुये चने को रुमाल में बांधकर सूंघने से जुखाम में आराम मिलता है।
  • तुलसी, अदरक आदि के रस को शहद के साथ लेने से जुखाम में आराम मिलता है।

Monday 13 August 2018

Corn (कदर) Treatment In Ayurveda

Corn एक ऐसी समस्या है, जिसका लोगो को सामना करना पड़ता है। corn को आयुर्वेद में कदर कहते हैं। यह विशेष तौर पर मोटी त्वचा पर उत्पन्न होती है जैसे पेर के तलवे, यह रगड़ ओर दबाव के कारण प्रतिक्रिया करके उत्पन्न होने लगती है।

सख्त त्वचा समय के साथ कॉर्न का रूप धारण कर लेती है। कॉर्न सख्त त्वचा में एक डॉट की तरह उत्पन्न होता है और बाद में यह दबाव के कारण बढ़ने लगता है। इसके कारण बहुत तेज दर्द होता है जिससे चलने फिरने में में तकलीफ होती है। कॉर्न का जल्द से जल्द इलाज नही किये जाने पर इससे छुटकारा पाना मुश्किल होता हैं। इस पोस्ट के जरिए हम आपको कॉर्न की जानकारी देते हैं।
  • Corn (कदर) के लक्षण
  • त्वचा को छूने पर दर्द होना 
  • चलने फिरने में दर्द होना
  • त्वचा पर उभरी हुई गांठ दिखाई देना
  • त्वचा खुरदरी ओर मोटी दिखाई देना
  • Corn (कदर) होने के कारण
  • टाइट जुते पहनना ओर ठीक साइज के ना पहनना
  • चलते समय पेर के पंजों पर ज्यादा दबाव डालना
  • पैरो की असामान्य संरचना
  • चलने में असामान्यता
  • कांटा या किसी वस्तु के घुसने से
  • Corn (कदर) का आयुर्वेदिक उपचार
  • मुलेठी: मुलेठी कॉर्न के दर्द को कम करती है। मुलेठी के चूर्ण को सरसों के तेल में मिलाकर पेस्ट बना ले, इसे रात को सोते समय कॉर्न पर लगाकर छोड़ दे, जिससे कॉर्न की सख्त त्वचा नरम हो जाएगी और कॉर्न धीरे धीरे कम होता जायेगा। For pure and best quality herbs check here
  • अरंडी तेल: अरंडी का तेल कॉर्न में बहुत ही उपयोगी होता है इस तेल को हल्का गर्म करके कॉर्न वाली जगह पर रोजाना मालिश करने से कॉर्न ठीक हो जायेगा।
  • बेकिंग सोडा: यह कॉर्न की सख्त ओर मृत त्वचा को हटाने में सहायता करता है। गर्म पानी मे बेकिंग सोडा को डालकर उस पानी मे पैरो को भिगोकर रखे यह क्रिया रोज 15 से 20 मिनट तक करे कॉर्न में आराम मिलता है।
  • Corn (कदर) का घरेलू उपचार
  • निम्बू कॉर्न के उपचार में फायदेमंद होता है निम्बू का एक स्लाइस कॉर्न वाली जगह पर लगाकर बांध देवे, ऐसा रोज करने से कॉर्न में आराम मिलता है।
  • कच्चे आलू की स्लाइस को कॉर्न पर लगाकर बांध देने से कॉर्न धीरे-धीरे कम होने लगता है।
  • कच्चे पपीते के एक टुकड़े को कॉर्न पर रगड़ कर उसे कपड़े से बांधकर रातभर छोड़ दे, ऐसा रोज करने से कॉर्न में आराम मिलता है।
  • लहसुन को पीसकर उसका पेस्ट कॉर्न पर लगातार उस जगह को कपड़े से बांधकर रात भर छोड़ दे इससे भी कॉर्न ठीक हो जाती हैं।
  • सावधानी
  • Corn (कदर) को किसी ब्लेड ओर तेज धार वाली वस्तु से काटने का प्रयास ना करे, ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है।

Saturday 11 August 2018

Asthma (दमा) Treatment In Ayurveda

Asthma (दमा) फेफड़ो की एक बीमारी जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। सांस लेने की इस पक्रिया के समय एक सीटी जैसी आवाज आती है।

Asthma (दमा) ऐसा रोग है जो बच्चों से लेकर किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है। इस स्थिति में सुबह ओर शाम के समय खासी की समस्या बढ़ जाती है।
अस्थमा का दौरा पड़ने पर श्वास नलिका बंद हो जाती है जिसके कारण शरीर मे महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है। अस्थमा के दौरे से रोगी की मित्यु भी हो सकती है। अस्थमा को ठीक नही किया जा सकता लेकिन इसको नियंत्रण किया जा सकता है ताकि रोगी सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। इस पोस्ट के जरिये Asthma (दमा) का आयुर्वेदिक ओर घरेलू उपचार के बारे में बताएंगे लेकिन उससे पहले हम आपको अस्थमा के बारे में जानकारी देंगे।
  • Asthma (दमा) के कारण
  • श्वास नली में संकमण होना
  • फेफड़ो का संक्रमण
  • एलर्जी, छोटे छोटे धूल के कण
  • जीवाणु
  • प्रदूषण
  • फंगस
  • पालतू जानवरों के ज्यादा संपर्क में रहना
  • अनुवांशिक कारण
  • लंबे समय तक सर्दी जुकाम रहना
  • Asthma (दमा) के लक्षण
  • सांस लेने में तकलीफ होना,सांस फूलना
  • सांस की नालियों में सूजन आना
  • कम रक्तचाप
  • थकावट महसूस होना,पसीना आना
  • इस रोग में सुखी खासी हो जाती है साथ ही सीने में जकड़न ही जाती है
  • सोते समय तकलीफ होना
  • छाती में कफ जमा हो जाना
  • बेहोशी आना आदि
  • Asthma (दमा) का आयुर्वेदिक उपचार
  • कंटकारी: कंटकारी अस्थमा के रोगी के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, यह फेफड़ो ओर गले मे जमे हुए कफ को हटा देता है जिससे अस्थमा रोगी को आराम मिलता है।
  • पुष्करमूल: इसमे एंटीबैक्टीरियल गुण पाये जाते है इसके चूर्ण को रोज सुबह शाम लेने से अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • दालचीनी: दालचीनी के चूर्ण को शहद के साथ लेने पर बलगम निकलने में सहायता मिलेगी ओर साथ ही अस्थमा में आराम मिलेगा।
  • वासा: वासा जिसे अडूसा भी कहते है यह कफ के स्त्राव को कम करता है साथ ही खासी को ठीक करता है। इसमें ब्रोंकोडायलेटर गुण पाये जाते है। इस गुण के कारण इसका उपयोग अस्थमा में किया जाता है ओर अस्थमा को दूर करने में सहायक है।
  • Asthma (दमा) का घरेलू उपचार
  • अंजीर को रातभर पानी मे भिगोकर रख दे और सुबह उसे खाली पेट खा ले, इससे अस्थमा रोगी को आराम मिलता है।
  • शहद कफ को हटाने में सहायक होता है रोज दिन में 3 से 4 बार एक गिलास पानी मे शहद मिलाकर पीने से अस्थमा रोग में फायदा मिलता है।
  • हल्का ओर जल्दी पचने वाला भोजन ले जैसे- मसूर, मूंग दाल आदि।
  • तुलसी के पत्तो को पीसकर उसमें शहद मिलाकर खाने में से भी अस्थमा में आराम मिलता है।
  • सरसों के तेल को हल्का गर्म करके छाती पर मालिश करने से अस्थमा में बहुत आराम मिलता है।
  • योग
  • अस्थमा रोग में आयुर्वेदिक ओर घरेलू उपचार के साथ अगर योग भी करे तो बहुत जल्दी आराम मिलता है।अस्थमा रोगी को रोज सुबह नियमित रूप से कपालभाति, अनुलोम विलोम कम से कम 10 से 15 मिनट करना चाहिए।

Tuesday 7 August 2018

Gastroesophageal Reflux Disease (GERD/ उर्ध्वगत पित्त) Treat In Ayurveda

आज कल की भाग दौड़ भरी लाइफ में बदलती जीवन शैली ओर खानपान की गलत आदतों से कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

इनमे से एक है  GERD  (Gastro Esophageal Reflux Disease) जिसे आयुर्वेद में इसे उर्ध्वगत पित्त के नाम से जाना जाता है।

इसमें अम्ल ओर पित्त ऊपर की गति करते है। इस रोग में पेट के अंदर गई हुई चीजों का वापस खाने की नली में आना एसिड रिफ्लक्स कहलाता है। कभी कभी थोड़ा बहुत खाने का वापस आना आम बात है, लेकिन बार बार खाने का आना बहुत नुकसानदायक होता है। जिससे हार्ट बर्न,एसिड इनडाइजेशन,अल्सर आदि समस्या हो जाती है। इस पोस्ट के जरिये हम आपको इसके कारण, लक्षण, और उपचार के बारे में जानकारी देंगे।
  • GERD (उर्धगत पित्त ) के कारण  
  • मोटापा,बुढ़ापा
  • कुछ महिलाओ में गर्भावस्था 
  • तेलिये पर्दाथ, तेज मिर्च मसलों का अधिक सेवन 
  • अनियमित ओर असंतुलन आहार का सेवन
  • खाने के बाद तुरंत सो जाना 
  • भूख ना होने पर अधिक खाना
  • मेदे से पदार्थ ओर जंक फूड का अधिक सेवन 
  • धूम्रपान ओर शराब का अधिक सेवन 
  • अधिक वसा और कैलोरीज वाले भोजन का अधिक मात्रा में सेवन 
  • रात में पूरी नींद ना लेना
  • GERD (उर्धगत पित्त) के लक्षण 
  • सीने में दर्द,जलन
  • खाने खाने के बाद तुरंत उल्टी हो जाना
  • खट्टी डकार का आना
  • पेट भरा हुआ लगना
  • बेचैनी ओर घबराहट का होना
  • हार्ट बर्न ओर पेट और पीठ के निचले हिस्से में जलन महसूस होना
  • गैस,कब्ज आदि का होना
  • खून की कमी दिखाई देना
  • GERD (उर्धगत पित्त) का आयुर्वेदिक उपचार
  • अविपत्तिकर चूर्ण: यह चूर्ण अम्ल पित्त के उपचार के लिए सबसे उपयोगी होता है, साथ ही साथ खट्टी डकार, जलन,उल्टी की समस्या से निजात दिलाता है। इस चूर्ण को रोज खाने से आधा घंटा पहले इसकी 1 चम्मच लेने से GERD में निजात मिलेगा।
  • अश्वगंधा: अश्वगंधा एसिड रिफ्लक्स में बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके चूर्ण को रोज दूध के साथ लेने से उर्धगत पित्त से छुटकारा मिलता है, साथ ही यह दिमाग के संतुलन में सहायक  होता है। यह थकान को  दूर करके अच्छी नींद में सहायक है।
  • मुलेठी: मुलेठी जो मार्केट आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसकी जड़ हार्ट बर्न,ऊल्टी GERD अच्छा काम करती है, तथा इससे छुटकारा भी दिलाती है।
  • आमलकी चूर्ण: आमलकी चूर्ण पित्त दोष फायदेमंद होता है। यह विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है। इसके चूर्ण को रोज लेने से GERD से छुटकारा मिलता है।
  • नारियल पानी: नारियल पानी का रोज सेवन करने से भी GERD में बहुत फायदा मिलता है। इसके पानी को रोज सुबह पीना चाहिए
  • योग: योग से GERD से छुटकारा मिल सकता है। रोज सुबह सूर्य नमस्कार,सुखासन,नौकासन,शवासन आदि योग करते रहने से इस रोग में फायदा होता है। यह सभी योग करने से पहले योग गुरु से शिक्षा लेवे।   
  • घरेलू उपचार: खाना खाने के बाद गुड़ का सेवन करे, कच्ची सॉफ के सेवन से GERD में फायदा होता है,एक गिलास दूध में एक चम्मच घी डालकर पिने से भी फायदा होता है।
  • परहेज
  • कच्चे प्याज,तेज मसाले,आलू आदि 
  • वसायुक्त आहार जैसे- पनीर, दूध से बने पदार्थ, मलाई 
  • कैफीन युक्त पेय
  • वसायुक्त मॉस,तला हुआ मॉस आदि 

Thursday 2 August 2018

Arthritis (गठिया) Treatment In Ayurveda

आर्थराइटिस जिसे गठिया रोग के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गठिया खराब वात दोष के कारण होता है यह रोग जोड़ो से सम्बंधित होता है जो एक बार होने के बाद पूरे शरीर को प्रभावित करता है इस रोग में दर्द असहनीय होता है।

यह रोग अधिकतर 40 से 50  वर्ष की आयु में होता है, स्त्रियों को ये रोग अधिक प्रभावित करता है यह रोग होने पर रोगी चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है जोड़ो में सूजन आ जाती है। कभी कभी दर्द के कारण बुखार भी हो जाता है ओर जोड़ो का आकार भी टेड़ा हो जाता है।

ठंड के मौसम में गठिया के रोगी को अधिक परेशानी होती है इसलिए ठंड से बचने के प्रयास करने चाहिए। रोग के लक्षण पहचानकर सही समय पर इसका उपचार कराये। इस पोस्ट के जरिये हम आपको गठिया लक्षण, कारण ओर आयुर्वेदिक उपचार बताएंगे
  • Arthritis ( गठिया) के कारण
  • खराब जीवनशैली
  • अनियमित खान पान
  • ( कब्ज)Constipation
  • गैस, एसिडिटी
  • मानसिक श्रम ज्यादा होना
  • Arthirtis (गठिया) के लक्षण
  • घुटनो ओर जोड़ो में दर्द होना
  • जोड़ो में सूजन का आना
  • हाथ पैर का टेड़ा होना
  • चलने फिरने में असमर्थ होना
  • जोड़ो के आसपास की त्वचा का लाल होना
  • Arthritis (गठिया) का आयुर्वेदिक उपचार
  • महानायरण तेल: महानायरण तेल जोड़ो के दर्द और सूजन के लिये फायदेमंद आयुर्वेदिक दवा है। इस तेल की मालिश करने से जोड़ो की अकडन ठीक होती है और लचीलापन बढ़ जाता है तथा गठिया रोग में आराम मिलता है।
  • योगराज गुग्गलु: गठिया रोग में योगराज गुग्गलु सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा है, इसकी 2 गोली दिन में 2 से 3 बार लेवे इसको लेने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह आवश्यक है
  • पारिजात: पारिजात के पत्तो को उबालकर उसका काढ़ा तैयार कर के रोज सुबह शाम इसको लेने से गठिया रोग में फायदा मिलता है।
  • स्टीम बाथ: गठिया रोग में स्टीम बाथ बहुत ही उपयोगी होता है इससे जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है तथा सूजन भी कम जाती है।
  • फिजियोथेरेपी: फिजियोथेरेपी पैर की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है साथ मे जोड़ो की को गति और लचीलेपन को बनाई रखती है इससे गठिया रोग में बहुत आराम मिलता है।
  • परहेज
  • अधिक तेल ओर मिर्च मसाले से परहेज रखे, अपनी डाइट में प्रोटीन की अच्छी मात्रा का उपयोग करे। चाय,कॉफी, दही, ध्रूमपान का सेवन वर्जित है।

Tuesday 31 July 2018

Kidney Stone (पथरी) Treatment In Ayurveda

आयुर्वेद के अनुसार दोषो के प्रकोप होने से पथरी होती है। गुर्दे कि पथरी या नेफ्रोलिथियासिस जो गुर्दे ओर मूत्र मार्ग में होती है गुर्दे की पथरी अधिकतर गुर्दे में ही होती है।

गुर्दे की पथरी में असहनीय दर्द होता है। पथरी को नजरअंदाज करने पर मूत्र मार्ग में रुकावट पैदा हो जाती है जिसके कारण पेट मे ओर पीठ के नीचे वाले हिस्से में दर्द होता है।

गुर्दे की पथरी का आकार रेत के दाने से लेकर गोल्फ की गेंद जितना होता है छोटी आकर की पथरी उपचार करने पर मूत्र मार्ग से निकल जाती है लेकिन बड़े आकार की पथरी को सर्जरी के द्वारा निकाला जाता है। आयुर्वेद में पथरी का अच्छा इलाज है नीचे हम आपको इसके होने के कारण, लक्षण, ओर उपचार के बारे में जानकारी देंगे।
  • Kidney Stone (पथरी) के लक्षण
  • पीठ के नीचे वाल हिस्से ओर पेट में असहनीय दर्द का होना
  • पेशाब में जलन, पेशाब करते समय पीड़ा होना
  • पेशाब में बदबू आना
  • पेशाब के साथ रक्त का आना 
  • उल्टी आना,बुखार का आना
  • भूख कम लगना
  • चक्कर आना
  • Kidney Stone (पथरी) के कारण
  • पानी की कमी
  • गुर्दे में सोडियम ओर हाइड्रोक्लोरिक का जमा होना
  • अधिक खट्टे, तेलीय प्रदार्थ, तेज मीर्च मसाले का अधिक मात्रा में उपयोग करना
  • तरल पदार्थ को कम मात्रा में पीना
  • मौसम के विरुद्ध खान पान
  • मेहनत ना करना
  • Kidney Stone (पथरी) का आयुर्वेदिक उपचार
  • भोजन ओर पानी: पथरी वाले रोगी को ऐसा भोजन करना चाहिए जो आसानी से पच जाए तथा अपने भोजन में पुराने चावल, दूध,निम्बू का रस अधिक उपयोग करे। जितना हो सके पानी का अधिक मात्रा में उपयोग करे साथ ही नारियल पानी का उपयोग करने से भी फायदा होगा।
  • मूली: मूली पथरी के रोगी के बहुत उपयोगी होती है मूली को सलाद के रूप में उपयोग कर सकते है तथा इसका जूस बना के पीने से भी रोगी को आराम मिलता है।
  • कुल्थी: यह पथरी के रोगी के लिए सबसे असरकारक होती है इसकी दाल का सेवन करते रहे तथा कुल्थी को उबालकर इसका पानी पीने भी पथरी कटकर मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है।
  • सहजन: सहजन की जड़ का साफ करके उसका काढ़ा बनाकर सुबह शाम पीने से भी पथरी का रोग ठीक हो जाता है साथ ही सहजन की सब्जी बनाकर खाने से भी पथरी रोगी को फायदा मिलता हैं।
  • पत्थरचट्टा: पत्थरचट्टा पथरी के लिए रामबाण इलाज है पत्थरचट्टा की पत्तियों को रोज सुबह खाने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
  • गोक्षुर: गोक्षुर का चूर्ण पथरी रोग में फायेदमंद होता है गोक्षुर के चूर्ण को रोज सुबह शाम दूध के साथ लेने से पथरी रोग ठीक हो जाता है

Saturday 28 July 2018

Periodontitis (पायरिया) Treatment In Ayurveda

दाँतो में होने वाली एक गंभीर बीमारी है पायरिया जिसे Periodontitis Disease भी कहा जाता है। इसमे मसूड़ो में सूजन ऒर इन्फेक्शन होने लगता है।

यह बीमारी जब होती है तब दाँतो ओर मसूड़ो को अच्छे से देखभाल नही करते है। सही देखभाल के अभाव में दाँतो में Plaque जमने लगता है जिससे दाँतो को सहारा देने वाली हड्डियों ओर connective tissue कमजोर होने लगते है जिससे दाँतो के टूटने की स्थिति हो जाती है।

पायरिया रोग के होने से मुंह मे बदबू आने लगती है यह रोग उन लोगो के ज्यादा होता है जो लोग मीठा अधिक खाते है। हम आपको इस बीमारी के कारण,लक्षण ओर आयुर्वेदिक उपचार बता रहे है।

  • पायरिया (Periodontitis) के कारण
  • दाँतो को साफ ना रखना
  • मीठा ज्यादा खाना
  • अनुवांशिक कारण
  • मसूड़ो की बीमारी (Gingivitis)
  • विटामिन सी की कमी
  • तम्बाकू उत्पादों अधिक सेवन
  • पेट की बीमारी का होना आदि।
  • पायरिया (Periodontitis) के लक्षण
  • मसूड़ो से रक्त व मवाद का आना
  • मसूड़ो में सूजन
  • सांसो में बदबू आना
  • दाँतो का हिलना या गिरना
  • दाँतो का रंग पीला हो जाना आदि।
  • पायरिया (Periodontitis) का आयुर्वेदिक उपचार
  • माजूफल: आयुर्वेद में माजूफल का अधिक उपयोग है माजूफल के चूर्ण को रोज सुबह शाम मंजन के रुप मे उपयोग करने पर पायरिया को दूर किया जा सकता है।
  • तुलसी: तुलसी का पौधा आसानी से उपलब्ध हो जाता है इस पौधे की पत्तियों को लेके सूखा ले, सुख जाने पर इनका चूर्ण बना लेवे इस चूर्ण में सरसों का तेल मिलाकर रोज मंजन करे जिससे पायरिया रोग में आराम मिलता है।
  • अमरूद: विटामिन सी की कमी के कारण भी पायरिया होता है ओर अमरूद विटामिन सी का अच्छा स्रोत है कच्चे अमरूद में नमक मिलाकर खाने से भी पायरिया की रोकथाम की जा सकती है।
  • शहद: शहद सभी घरों में उपलब्ध हो जाता है रोज शहद को दाँतो ओर मसूड़ो पर मलने से पायरिया के साथ साथ दाँतो से सम्बंधित अन्य रोग भी दूर हो जाते है।
  • नीम: नीम कई बीमारी को दूर करता है नीम की पत्तियों को पानी मे उबालकर उस पानी से कुल्ला करने से पायरिया में आराम मिलता है तथा नीम की दातुन करने से इस रोग में फायदा होता है।
  • सरसो का तेल: सरसो के तेल में चुटकी भर नमक मिलकार दाँतो पर मलने से पायरिया रोग में फायदा होता है 
  • लोंग: लोंग दाँतो के रोग के लिए बहुत उपयोगी होती है इसके तेल की कुछ बूंदे एक गिलास पानी मे डाल कर कुल्ला करने से मुंह की बदबू, दाँतो के अन्य रोग तथा पायरिया में आराम मिलता है।
  • हरीतकी: हरीतकी का चूर्ण दाँतो ओर मसूड़ो को द्रढ बनाने के लिए फायदेमंद होता होता इसके साथ इसके चूर्ण का मंजन करने से पायरिया रोग नष्ट हो जाता है।

Thursday 26 July 2018

Sciatica (गृध्रसी) Treatment In Ayurveda

  • Sciatica (गृध्रसी) 
साइटिका जिसे आयुर्वेद में गृध्रसी के नाम से भी जाना जाता है। इसका दर्द असहनीय होता है।

इसमे कूल्हों,पैरो की जांघो में सुई चुभने जैसा तेज दर्द होता है। सियाटिका नर्व रीढ़ से निकलने वाली स्पाइनल नर्व से मिलकर बनती है। यह पैरो को मांसपेसियों को  नियंत्रित करती है, यह पैरो दर्द, कम्पन, तापमान आदि को स्पाइनल कॉर्ड तक पहुँचती है।

सियाटिका का दर्द पूरे दिन के कार्यो को बाधित करता है  यह दर्द कमर से होता हुआ नीचे पैरो तक जाता है। इसे जानने के लिए इस रोग से पीड़ित व्यक्ति से मिलकर इसकी परेशानी को जान सकते है। इस रोग के आयुर्वेदिक उपचार बताएंगे जिससे आप इसके दर्द से छुटकारा पा सकते है।


Sciatica Pain Area


  • Sciatica(गृध्रसी) के लक्षण
  • कमर में दर्द रहना
  • एक पैर में पंजे तक दर्द रहना
  • पंजे में कमजोरी आना
  • एक पैर की अंगुलियों ओर अंगूठे का सुन्न होना
  • पेशाब करने में तकलीफ होना
  • Sciatica ( गृध्रसी) के कारण
  • स्लीप डिस्क के कारण दबाव
  • साइटिका नर्व पर दबाव
  • स्पाइनल केनाल का सिकुड़ना
  • हर्नियेटेड डिस्क (herniated disc) पर दबाव
  • Sciatica (गृध्रसी) के आयुर्वेदिक उपचार
  • गुग्गुलु: यह पेड़ से प्राप्त लार होती है जो कई बीमारियों के इलाज से साथ साइटिका के दर्द के लिए भी लाभदायक होती है। इसमे उपस्थित गुण दर्द और सूजन को कम करते है ओर साथ ही तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनने में भी मदद करते है जिससे साइटिका के दर्द को कम करने में भी मदद मिलती हैं।
  • पारिजात: पारिजात की पत्तियों का काढ़ा तैयार कर नियमित रूप से रोज सेवन करने से भी साइटिका के दर्द में राहत मिलती है। ( चिकित्सक से परामर्श जरूर लेवे) 
  • मेथी: साइटिका के दर्द से आराम दिलाने के लिए मेथी के दाने बहुत ही फायदेमंद होते है। सुबह सुबह मेथी के दानो को पानी के साथ लेने से साइटिका के दर्द में आराम मिलता है।
  • लहसुन: यह साइटिका के दर्द से निजात दिलाने के लिए बहतरीन उपाय है। हर सुबह 3 से 4 कच्चे लहसुन की कली को चबा के खाने से दर्द में आराम मिलता है।

  • जायफल: जायफल को बारीक पीसकर उसका पाउडर बना ले उसके बाद इसे तिल के तेल में अच्छे से पकाये,पकने के बाद हल्का ठंडा होने पर दर्द वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
  • योग: साइटिका में योग बहुत जरूरी होता है इससे शरीर मजबूत बनता है साथ हमारा प्रतिरक्षा तंत्र भी मजबूत बनता है जिससे साइटिका नर्व भी मजबूत बन जाती और इसके दर्द में फायदा मिलता है।
  • बेड रेस्ट: साइटिका के रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए भारी सामान नही उठाये तथा झुक कर काम ना करे। इससे भी काफी हद तक दर्द से निजात पाया जा सकता है।


Tuesday 24 July 2018

Treat Tips For Piles (बवासीर)

आज हम बात करते है piles के बारे में जिसे कई नामो जैसे अर्श,बवासीर, मस्से आदि से भी जाना जाता है।

आजकल की बिगड़ी हुई जीवन शैली ओर फास्ट फूड बढ़ते चलन से piles के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। किसी व्यक्ति को अगर लम्बे  समय तक कब्ज है तो उसका अंतिम परिणाम piles ही होता है।

बवासीर के कई कारण हो सकते है जैसे वंशानुगत, खान पान में गड़बड़ी, लम्बे समय फक बैठे रहना आदि सुरुआती दिनों में रोगी शर्म के कारण डॉक्टर के पास नही जा पाता और ये समस्या बढ़ती जाती है। हमारी इस पोस्ट के जरिये जानते इस रोग से कैसे बचा जाए और क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए।

  • Piles (बवासीर) के कारण
  • अनियमित जीवन शैली
  • कब्ज का लम्बे समय तक रहना
  • समय पर शौच न करना
  • शौच करते समय ज्यादा जोर लगाना
  • आलस्य, लंबे समय तक एक जगह बैठे रहना
  • आहार में फाइबर की कमी
  • वंशानुगत
  • अधिक मात्रा में तले, भुने भोजन का सेवन
  • Piles (बवासीर) के लक्षण
  • खुजली व मलाशय में दर्द
  • गुदा के आस पास मस्से होना
  • शौच करते समय रक्त का आना
  • रक्त का थक्का जमना या सूजन आना
  • बार बार शौच जाने के इच्छा होना
  • मल का ना निकलना
  • रक्त की कमी
  • Piles (बवासीर) का उपचार 
  • आहार: पोष्टिक आहार लेना आवश्यक होता है आहार फाइबर युक्त होना चाहिए, फल हरी सब्जियां साबुत अनाज अधिक लेवे। खाने में बीन्स, दाले, मटर आदि का सेवन करे। खाने में सलाद का अधिक उपयोग करे तले हुए ओर मसालेदार भोजन का सेवन कम करे।
  • छाछ: piles के इलाज के लिए छाछ बेहद फायदेमंद होती है रोजाना दोपहर के खाने के बाद 2 गिलास छाछ का सेवन करे इससे बवासीर की समस्या में आराम मिलता है।
  • इसबगोल: मार्केट में यह उपलब्ध है इसको रात में 2 से 3 चम्मच पानी में घोलकर लेने से भी बवासीर में फायदा होता है।
  • त्रिफला चूर्ण: त्रिफला चूर्ण को रात में गुनगुने पानी से लेने पर बवासीर में काफी हद तक सहायता मिलती है।
  • प्याज: प्याज बवासीर के इलाज के लिए काफी फायदेमंद होता है प्याज को दही और छाछ के साथ मिलाकर खाने से बवासीर में फायदा होता है।
  • एलोवेरा: इसे ग्वारपाठा भी कहते है यह कई रोगों को दूर करने के साथ साथ बवासीर में भी आराम देता है।
  • योग: सभी रोगों में आराम से साथ योग बवासीर में भी आराम देता है बवासीर के रोगियों को कपालभाति, अनुलोम विलोम, मंडूकासन आदि योग करने चाहिए। योग करने से पहले योग गुरु से अच्छे से समझकर योग करना चाहिए।


Sunday 22 July 2018

How To Raise Low BP (निम्न रक्तचाप)

आज की हमारी पोस्ट है निम्न रक्तचाप (Low BP) इससे पहले हमारी पोस्ट उच्च रक्तचाप उसके बारे में थी। जिसकी हमने  पहले बात कर ली है। आज हम बात करते है निम्न रक्तचाप जिसे Low BP भी कहते है। उच्च रक्तचाप के समान ही निम्न रक्तचाप भी हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है।

जब शरीर मे धमनियों में रक्त संचार की गति कम हो जाती है तब शरीर के कुछ भागों तक रक्त नही पहुँच पाता है तो शरीर मे रक्त की कमी हो जाती है इसे निम्न रक्तचाप यानी low Bp कहते है।

जब शरीर मे खून का आना जाना धीरे धीरे कम हो जाता है तब शरीर के अंग काम करना बंद कर देते है। जैसे दिल, किडनी,दिमाग आंशिक रूप से या पूरी तरह से काम करना बन्द कर सकते है। इसका आयुर्वेद में अच्छा  उपचार संभव है।
How To Raise Low BP (निम्न रक्तचाप)
  • निम्न रक्तचाप ( Low BP) के लक्षण
  • चक्कर आना
  • बेहोशी आना
  • कमजोरी आ जाना
  • छाती में दर्द, सर में दर्द
  • हाथो और पैरों का ठंडा होना
  • आंखों के सामने अंधेरा छाना
  • निन्म रक्तचाप (low BP) के कारण
  • शरीर मे रक्त की कमी होना
  • शरीर मे रोगों का होना जैसे- शुगर, टी.बी आदि
  • लिवर से संबंधित रोग होना
  • हृदय से संबंधित रोग
  • विटामिन जैसे विटामिन बी12 और आयरन की कमी
  • अवसाद ओर तनाव का होना
  • निन्म रक्तचाप (Low BP) के उपचार
  • सामान्य उपचार: निन्म रक्तचाप के लक्षण दिखाई देने पर अपने हाथों की मुट्ठी को खोले ओर बन्द करे। नमक, नींबू का पानी पियें तथा पैरो के नीचे तकिया लगाकर लेटे रहे।
  • आहार: निम्न रक्तचाप में आहार का बहुत ध्यान रखना पड़ता है नियमित रूप जस सब्जियों का सूप पीते रहे तथा अनार के रस से नमक मिलाकर पीने से भी निम्न रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • किशमिश: किशमिश को रातभर पानी मे भिगोकर रख दे तथा सुबह उसे कहा ले इससे भी निन्म रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।
  • अदरक, लोंग का काढ़ा: एक गिलास पानी मे अदरक, लोंग, काली मिर्च आदि डालकर उबले जब पानी उबलकर आधा रह जाये तो तो उसे पी ले यह भी निन्म रक्तचाप के लिए फायदेमंद है।
  • दालचीनी: दालचीनी का पाउडर का पानी मे डालकर काढ़ा बना ले इस काढ़े को लेने से भी निन्म रक्तचाप में सहायता मिलती है।

Friday 20 July 2018

How To Control High BP (उच्च रक्तचाप)

  • High BP (उच्च रक्तचाप)
आज हम बात करते है High Blood Pressure की जिसे उच्च रक्तचाप भी कहते हैं। शरीर के सभी अंगों को रक्त हृदय पहुँचता है। छोटी और बड़ी सभी रक्त वाहिनियों को हृदय रक्त संचार समय अनुसार करता है।

हमारी धमनियों में बहने वाले रक्त का एक निश्चित दबाव होता है। जब यह दबाव बढ़ जाता है तो धमनियों पर दबाव बढ़ जाता है तथा इस अवस्था को High BP यानी उच्च रक्तचाप कहते है।

एक सामान्य व्यक्ति की रक्तचाप की दर 120/80 होती है। High BP होने पर दिल का दौरा, नस फटने, किडनी खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
How To Control High BP (उच्च रक्तचाप)
  • High BP (उच्च रक्तचाप) के कारण
  • रक्त संचार अनियंत्रित होना।
  • मानसिक तनाव, चिंताग्रस्त रहना।
  • शरीर में कोलेस्ट्रॉल का जमना।
  • मोटापा बढ़ना।
  • शारीरक परिश्रम की कमी।
  • अधिक तला हुआ भोजन करना।
  • फास्ट फूड का अधिक सेवन।
  • High BP (उच्च रक्तचाप) के लक्षण
  • घबराहट होना,पसीना आना।
  • शरीर मे कम्पन होना।
  • चक्कर आना,आँखों से धुंधला दिखाई देना।
  • बिना काम किये थकान महसूस होना।
  • सर दर्द होना।
  • सांस लेने में तकलीफ होना।
  • Higb BP (उच्च रक्तचाप) का उपचार
  • Check up: नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच कराते रहना चाहिए जिससे ब्लड प्रेशर की सही स्थिति का पता चलता रहता है ताकि समय रहते कंट्रोल किया जा सकता है।
  • सर्पगंधा: सर्पगंधा के चूर्ण का सेवन रोज सुबह शाम करने से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • अर्जुन की छाल: अर्जुन की छाल का पाउडर दिल के बीमारी को ठीक करने के साथ साथ यह उच्च रक्तचाप को भी कम करने में भी सहायता करता है।
  • त्रिफला चूर्ण: यह रक्त परिसंचरण में सुधार करता है ब्लड में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है तथा उच्च रक्तचाप को कम करने में भी मदद करता है।
  • गौ मूत्र: यह हर बीमारी के लिए फायदेमंद होता है सुबह खाली पेट देसी गाय का गौ मूत्र पीने से उच्च रक्तचाप नियंत्रण हो जाता है।
  • व्यायाम: रोजाना हल्का व्यायाम करे और सुबह उठकर टहले इन सब से उच्च रक्तचाप को काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है।

Thursday 19 July 2018

Diabetes (मधुमेह) का इलाज

  • Diabetes (मधुमेह)
आज की हमारी पोस्ट Diabetes के बारे में है जिसे मधुमेह भी कहते हैं। पुुरे संसार में  Diabetes के रोगीयो की संख्या तेेजी से बढ रही है।

इस बीमारी में रक्त में Glucose की मात्रा सामान्य से ज्यादा हो जाती है इस वजह से रक्त कोशिकाएं इस Glucose का उपयोग नही कर पाती। रक्त में Glucose का स्तर लगातार बढे रहने से यह शरीर को नुकसान पहुँचता है।

इस रोग को आयुर्वेद में महारोग भी कहा जाता है इस रोग में रोगी के पेशाब में Glucose पाया जाता है।

मधुमेह का समय पर उपचार नही किया जाए तो इसके घातक परिणाम हो सकते है जैसे- नपुंसकता, जोड़ो का दर्द, kidney failure आदि। मधुमेह का सबसे अच्छा इलाज आयुर्वेद में है जिसका वर्णन किया जा रहा है।
How To Control Diabetes (मधुमेह)
  • Diabetes (मधुमेह) के प्रकार
  • Type 1: हमारे शरीर जब स्यवं इन्सुलिन नही बनाता तब type 1 Diabetes होती है।
  • Type 2: इस प्रकार के Diabetes में हमारे शरीर मे इन्सुलिन की मात्रा कम बनती है जो ठीक प्रकार से कार्य नही करता। इसी को type 2 Diabetes कहते है।
  • Diabetes (मधुमेह) के लक्षण
  • ज्यादा थकान महसूस होना
  • अधिक प्यास,अधिक भूख लगाना
  • अधिक पेशाब आना
  • किसी घाव का जल्दी ना भरना
  • बार बार त्वचा के रोग होना
  • रक्त में ग्लूकोज़ का बढ़ना
  • Diabetes (मधुमेह) के कारण
  • आनुवंशिक कारण
  • मोटापे के कारण
  • खान पान की गलत आदत
  • शारीरिक परिश्रम ना करना
  • नशीले पदार्थों का अधिक सेवन
  • चीनी का अधिक मात्रा में सेवन
  • Diabetes (मधुमेह) का उपचार
  • खान पान: अपने खान पान में मिठे पर्दाथ व चीनी के अधिक उपयोग से बचें। एक बार मे ज्यादा खाना खाने के बजाए थोड़े थोड़े अंतराल में खाये हरी पत्तीदार सब्जियों का उपयोग करे।गेंहू, जौ, चना के आटे से बनी मिस्सी रोटी का उपयोग भी मधुमेह में फायदेमंद रहता है।
  • मेथी के दाने: 1 से 2 चम्मच मेथी के दाने लेकर रात को पानी मे भिगो दे सुबह उठकर उस पानी को पी ले तथा मेथी के दानो को चबाकर खा जाए इससे भी मधुमेह ठीक हो जाता है।
  • जामुन की घुटली: जामुन की घुटली लेकर उसे सूखा दे उसके बाद उसे पीसकर उसका पाउडर बना कर उसका सेवन करने से ब मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • करेले का जूस: नियमित रूप से करेले के जूस का सेवन करने से भी मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • त्रिफला चूर्ण: त्रिफला चूर्ण का 1 चम्मच गर्म पानी से रोज रात को लेने से भी मधुमेह रोग में सहायता मिलती हैं।
  • व्यायाम ओर योगसन: किसी भी प्रकार के व्यायाम करने से भी मधुमेह में आराम मिलता है। तथा योगसन जैसे मंडूकासन, अनुलोम विलोम, कपालभाति,हलासन आदि करने से मधुमेह नियंत्रित किया जा सकता है।

Wednesday 18 July 2018

Treat Tips for Constipation (कब्ज)

  • Constipation (कब्ज) 
आयुर्वेद के अनुुुसार कब्ज वात के असंतुलन के कारण होती हैं। वात के असंतुलन से शरीर मे अवरोध उत्पन्न हो जाता हैं जिससे पाचन क्रिया भी असंतुलन हो जाती है इस असंतुलन से कब्ज हो जाती है। 

अवसाद और रुमेटोइड आर्थराइटिस वाले रोगी में संबंधित लक्षण के रूप में कब्ज हो जाती है। कब्ज को हल्के में लेने के घातक नुकसान हो सकते है। जो कई बीमारियों की जड़ है।कब्ज के करण सिर दर्द, एसिडिटी, ओर पाइल्स जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 

हमारे भोजन में तरल पदार्थ और फाइबर की कमी के कारण भी कब्ज हो जाती है जिससे मल त्याग करने में परेशानी होती है।
Treat Tips for Constipation (कब्ज)

  • Constipation (कब्ज) होने के कारण
  • भोजन का फाइबर युक्त न होना।
  • तरल पदार्थ का कम उपयोग।
  • कम मात्रा में पानी का पीना।
  • ज्यादा बैठे रहना, महेनत न करना ।
  • चाय,कॉफी का अधिक सेवन करना ।
  • फास्ट फूड का अधिक सेवन।
  • समय पर भोजन ना करना।
  • तनाव व अवसाद का होना।
  • Constipation (कब्ज) से बचने के उपाय
  • संतुलित भोजन: कब्ज को दूर करने के लिये संतुलित भोजन का करना बहुत ही आवश्यक है।अपने भोजन में ज्यादा फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, फूलगोभी, किसमिश, अजवाइन, सेम व भोजन के साथ सलाद का भी उचित मात्रा उपयोग करे। बाहर का खाने और ज्यादा तले हुए भोजन से बचें।
  • पानी: एक सामान्य व्यक्ति दिनभर में प्यास लगने पर पानी पीना चाहता है लेकिन कब्ज जैसी बीमारी में पानी का अधिक सेवन आंतों को नरम बनाता है ओर कब्ज को दूर करता है।
  • इसबगोल: इसबगोल का नाम आप सब ने सुना होगा इसबगोल को रात में 2 से 3 चम्मच गुनगुने पानी मे लेने से कब्ज जैसी शिकायत दूर हो जाती है।
  • त्रिफला चूर्ण: त्रिफला चूर्ण का उपयोग भी कब्ज में आराम देता है।त्रिफला चूर्ण रात में 1 चम्मच गर्म पानी से लेने पर कब्ज दूर हो जाती है तथा इसका नियमित सेवन कब्ज को जड़ से मिटा देता है।
  • मुनक्का: मुनक्का में फाइबर्स होते है जो पाचन क्रिया को ठीक करता है। रोज 10 से 15 मुनक्का खाने से कब्ज दूर हो जाती हैं।
  • व्यायाम: व्यायाम हमारे शरीर मे एनर्जी देने के साथ हमारे पेट को भी ठीक रखता है। एक जगह बैठे रहने से तथा कोई मेहनत ना करने से कब्ज की शिकायत हो जाती है उनके लिए व्यायाम लाभकारी है जेसे सुबह दौड़ना, सायकिल चलाना,स्विमिंग करना,पैदल चलना आदि।

Tuesday 17 July 2018

Tips To Treat Body Odor(दुर्गन्ध)

  • Tips To Treat Body Odor(दुर्गन्ध)
आज की हमारी पोस्ट है हमारे शरीर से दुर्गन्ध दूर कैसे किया जाए। शरीर से दुर्गन्ध आने की वजह से हमारा आत्मविश्वास गिर जाता है जिससे हम किसी काम को करने से हिचकिचाते है तथा किसी के सामने जाने से डरते है ओर हमे सर्मिन्दा होना पड़ता है।

शरीर से दुर्गन्ध पसीने की वजह से आती है व इनके मुख्य कारण है बैक्टरिया जो हमारे शरीर मे उस जगह पनपते है जहाँ नमी ओर गर्मी हो ये पसीने के साथ मिलकर शरीर में दुर्गन्ध उत्पन्न करते है।

इस व्यस्त जीवन मे पूरे दिन शरीर को ताजा ओर दुर्गन्ध रहित रखना बहुत मुश्किल काम है। आज मार्केट में कई तरह के Dioderant or Perfume उपलब्ध है जिनसे थोड़े समय तक शरीर की दुर्गन्ध को दूर कर सकते है लम्बे समय तक नहीं लेकिन आज हम आपको कुछ घरेलू उपायों के जरिये बताएंगे कि शरीर की दुर्गन्ध को लम्बे समय तक कैसे दूर किया जा सकता है।
Tips To Treat Body Odor(दुर्गन्ध)
  • शरीर से दुर्गन्ध आने के कारण
  • पसीना का अधिक मात्रा में निकलना।
  • बैक्टरिया का उत्पन्न होना।
  • शरीर को अच्छे से साफ न करना।
  • नियमित स्न्नान न करना।
  • शरीर से दुर्गन्ध दूर करने के उपाय
  • साफ सफाई: शरीर से दुर्गन्ध दूर करने के लिए शरीर की साफ सफाई करना जरूरी है इसके लिए नियमित स्नान करते रहना चाहिए और अगर पसीने ज्यादा आ जाये तो दिन में 2 बार स्नान जरूर करें।
  • पानी का अधिक उपयोग: दुर्गन्ध दूर करने के लिए अधिक मात्रा मे पानी पीना चाहिए, कम से कम 3 से 4 लिटर पानी रोज पिये क्योंकि पानी हमारे शरीर केे तापमान को नियत्रित करता है। शरीर से टाक्सिन बाहर निकल जाते है ओर शरीर से दुुर्गन्ध दुर हो जाती हैं।
  • हरी सब्जियों का उपयोग: हरी सब्जियों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करे क्योकि हरी सब्जियों में उपस्तिथ क्लोरोफिल शरीर की दुर्गन्ध दूर करने में सहायता करता है।
  • निम्बू का रस: शरीर में जहा से दुर्गन्ध आती है वहा निम्बू का रस लगाए जिससे उत्पन्न बैक्टीरिया नष्ट हो जाते है ओर दुर्गन्ध दूर हो जाती है निम्बू का रस लगातार उपयोग करने से दुर्गन्ध पूर्णतया समाप्त हो जाती है।
  • पुदीने का उपयोग: पुदीने की ताजा पत्तियों को पीस कर पेस्ट बना ले फिर उसे दुर्गन्ध वाले स्थान पर लगायें थोड़े समय रखकर धो ले इससे भी शरीर की दुर्गन्ध दूर होती हैं।
  • टमाटर का उपयोग: टमाटर के गूदे का पेस्ट बनाकर अपने अंडरआर्म में 15 से 20 मिनट तक लगाए फिर पानी से धो ले इसे रोज उपयोग लेने से भी शरीर की दुर्गन्ध से छुटकारा मिलेगा।
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Monday 16 July 2018

Commen Disease In Rainy Season

वर्षा ऋतु के आते ही गर्मी से राहत मिलती है,बारिश का मौसम किसे अच्छा नही लगता बच्चों स लेकर बड़ो तक सबके चेहरे खिल उठते है। बारिश का मौसम हो गर्म चाय और गर्मागर्म पकोड़े याद न आये ऐसा तो हो ही नही सकता, चाय की चुस्की के साथ गर्म पकोड़े इस मौसम में चार चांद लगा देते है। इस मौसम में बाहर का चटपटा खाना जितना अच्छा लगता है उतना ही नुकसान भी करता है। इस मौसम में बैक्टरिया, कीटाणु, फंगस अधिक मात्रा में पनपते है तथा इस वजह से कई तह की बीमारियां पैदा हो जाती है। इन बीमारियों से सावधान रहना चाहिए जैसे सर्दी,खासी,हैजा,डायरिया, मलेरिया आदि।
Commen Disease In Rainy Season
  • सर्दी,खाँसी
 वर्षा ऋतु के आते ही यह से समस्या आम हो जाती है, शरीर का भीगे हुए रहना अच्छी तरह से न सुखना जिससे नमी बनी रहती है ओर सर्दी, खासी जैसी समस्या उत्पन हो जाती है।
  • सर्दी खासी से बचने के उपाय
वर्षा ऋतु में सर्दी खासी से बचने के लिये गीले कपड़े ना पहने कपड़ो केे सूखने पर ही पहने
जिस व्यक्ति से सर्दी खासी हो उससे दूर रहे और अपने हाथों को नियमित रूप से धोये
  • हैजा
हैजा संक्रामक रोग है यह  Vibrio Cholera नामक जीवाणु के द्वारा दूषित पानी और भोजन से होता है। इस बीमारी में उल्टी ओर दस्त होने से शरीर मे आवश्यक मिनरल ओर पानी की कमी हो जाती है।
  • हैजा से बचने के उपाय
हैजा से बचने के लिये साफ़ पानी पियें
पानी को उबाल कर पिये
भोजन को ढककर रखे
घर के आस पास साफ सफाई रखे
  • डायरिया
डायरिया यह हैजा के समान ही होता है लेेेकीन इसमे रोगी को केेवल दस्त होते है। जीवाणु युक्त पानी पीने सेे डायरिया हो जाता है।
  • डायरिया से बचने से उपाय
भोजन को गर्म खाये।
हाथो को अच्छे से धोये।
बाजार से कटी फटी सब्जी न ले उनमें जीवाणु होते है।
पानी को उबाल कर पिये।
  • मलेरिया
बारिश के मौसम मलेरिया का प्रकोप अधिक होता हैं। यह रोग मच्छरो से होता हैं, बारिश के मौसम में पानी के एकत्रित हो जाने पर मच्छर उत्पन्न हो जाते है। यह रोग चार टाइप के परजीवी से होता है जैसे- Plasmodium Maleri, Plasmodium Ovale, Plasmodium vivex,Plasmodium falciperum ।इस रोग शरीर काँपने लगता है, बुखार,बदन दर्द होता है।
  • मलेरिया से बचने के उपाय
मलेरिया से बचने के लिये अपने आस पास पानी एकत्रित न होने दे। 
घर के आस पास सफाई रखे।
टिन के डिब्बे,कूलर आदि में पानी को इकठ्ठा न होने दे।
मच्छरो से बचने के लिए फुल लेंथ वाले कपड़ें पहने।
रात को सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करे।

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Sunday 15 July 2018

How To Control Depression (अवसाद)

आजकल की भागदौड़ भरी लाइफ में हर दूसरा व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है कई व्यक्ति इसे नजरअंदाज कर देते है फिर बाद में भयानक साबित होता है डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति अपनी रोजमर्रा के कामकाज भलीभांति नहीं कर पाता उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है और वह अपने पारिवारिक सम्बन्धो के दुखो का कारण बनता है Depression का शिकार व्यक्ति हर बात नकारात्मक सोचने लगता है जब Depression की अवस्था भयानक हो जाती है तो वह व्यक्ति अपनी लाइफ को बेकार समझने लगता है और ऐसी अवस्था में वह अपने जीवन को समाप्त करने की सोचने लगता है तो आये हमारी इस पोस्ट के जरिये जानते है Depression के लक्षण कारण और उससे छुटकारा पाने का उपाय 
How Control Depression (अवसाद)
                                                  
  • Depression (अवसाद) के लक्षण
  • Depression का मुख्य कारण है नींद न आना या अधिक नींद आना 
  • Depression के शिकार व्यक्ति को भूख नहीं लगती 
  • कोई भी काम करने में मन नहीं लगता उसे मुश्किल समझने लगते है 
  • अपनी सोच को नेगेटिव बना लेते है 
  • छोटी छोटी बातो पर गुस्सा करने लगते है 
  • अपने आप को अकेला महसूस करने लगता है hopeless feel करता है 
  • शराब का सेवन अधिक सेवन करने लगता है 
  • वह अपनी जीवनलीला समाप्त  करने की सोचने है 
  • Depression (अवसाद) के कारण
  • धोका हो जाना 
  • बेरोजगारी, व्यापर में नुक्सान हो जाना 
  • पेसो की कमी 
  • अकेलापन तथा किसी अपने का साथ छूट जाना 
  • किस के कारण परेशान किया जाना बार बार टॉर्चर करना 
  • अपने काम में सफलता नहीं मिलना 
  • अपने कार्य का दबाव 
  • शराब व नशीली दवा का सेवन 
  • Depression (अवसाद) से बचने के उपाय
  • Depression की वजह जानने की कोशिश करे उसका हल निकले अपने किसी दोस्त या फिर अपनों की सहायता ले उनसे उस समस्या पर विचार करे तथा उसका हल कैसे हो सकता है उस पर अमल करे  
  • Depression  शिकार वयक्ति को हमेशा किसी भी प्रकार से वयस्थ रहना चाहिए ताकि उसके दिमाग में किसी प्रकार की नकारात्मक सोच न आये नकारात्मक सोच उसके लिए घातक हो सकती है अतः उसे वयस्थ  रहना चाहिए
  • किसी भी प्रकार के तनाव से दूर रहे और भरपूर नींद ले इससे दिमाग को आराम मिलेगा ओर बिना किसी तनाव के अच्छा काम करेगा 
  • Depression को दूर करने के लिए सबसे अच्छी तकनीक है गाने सुनना इससे अवसाद दूर होगा और अपने आप को तजा महसूस करने लगोगे 
  •  शराब व नशीली दवा का सेवन बंद कर देवे क्योकि कई व्तक्ति अवसाद से बचने के लिए ऐसी दवा का सेवन करते है कुछ समय के लिए वह अवसाद से दूर हो जाते है लेकिन बाद में यही उनकी आदत बन जाती है अतः इनके सेवन से बचें 
  • Depression से बचने का सबसे अच्छा उपाय है प्राणायाम इससे दिमाग में सकारात्मक सोच का विकास होगा ओर तनाव व अवसाद जैसी अवस्था को दूर किया जा सकता है।

Saturday 14 July 2018

Celiac Disease

Celiac Disease जिसे हम आम भाषा में गेहूं की एलर्जी भी कहते है। इस बीमारी में गेहूं तथा गेंहू से बने उत्पाद से एलर्जी हो जाती है इसका मुख्य कारण है ग्लूटिन प्रोटीन जो विभिन्न खाद्य प्रदार्थ जैसे गेहूं ,जई,जौ आदि में पाया जाता है। इस रोग में ग्लूटिन प्रोटीन को खा नही सकते क्योंकि यह छोटी आंत को नुकसान पहुँचता है। इस रोग में बच्चे कमजोर हो जाते हैं और बच्चों की लंबाई रुक जाती है। कई बार डॉक्टर इस बीमारी को पहचान नहीं पाते और इसे किसी प्रकार का संक्रमण या टिबी समझ लिया जाता है। Celiac Disease से पीड़ित बच्चों को जीवन भर  ग्लूटिन प्रोटीन युक्त खान पान से परहेज करना चाहिए।
Celiac Disease

           Celiac Disease की के लक्षण
  • कमजोरी,थकान
  • वजन घटना
  • खून की कमी
  • पेट दर्द
  • उल्टी
  • लम्बाई का न बढ़ना
  • डिप्रेशन ( Depression)
  • शरीर का विकास रुक जाना
  • युवास्था का देरी से प्रारम्भ होना ।
               Celiac Disease के कारण
  • जेनेटिक कारण
  • ग्लूटिन प्रोटीन 
  • पर्यावरण
  • डाउन सिंड्रोम या टर्नर सिंड्रोम
  • टाइप 1 डियाबिटीज
      Celiac Disease के निवारण के उपाय
  • ग्लूटिन प्रोटीन रहित खाद्य पर्दाथ का सेवन।
  • कैल्शियम युक्त आहार का सेवन जैसे दूध, दही, पनीर, मछली, बादाम,और चौलाई।
  • विटामिन बी युक्त आहारों में अंडे, दूध, मीट, संतरे का रस, फलियाँ, और ग्लूटेन रहित साबुत अनाज आते हैं।
  • Celiac Disease में विटामिन के की कमी हो जाने की संभावना रहती है।इसके लिए पालक,पत्तागोभी, मटर,जैतून, सोयाबीन,दलिया आदि सभी विटामिन के स्रोत है।
  • वयायाम करते रहना चाहिए जैसे दौड़ना,साईकल चलना,पैदल चलना आधी कार्य करने चाहिए जिससे सकारात्मक विचार का विकास होगा।
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Thursday 12 July 2018

Warts (मस्से) Treat Tips

  • मस्से(warts) 
आज की हमारी पोस्ट है मस्से, आमतौर पर आज लाखों लोग त्वचा की समस्या से ग्रसित है। इन समस्याओं में मस्से होना भी एक प्रकार की समस्या है। ह्युमन पैपिल्लोमा वाइरस के कारण होते है। मास्सा त्वचा का एक उभार होता है। मस्से दिखने में छोटे दाने की तरह होते है। इनका रंग काला व भूरा होता है। कुछ मस्से खुद गायब हो जाते है और कई का इलाज करना पड़ता है। आयुर्वेद में मस्सो को अच्छा इलाज है । मस्से त्वचा पर अचे नही लगते जिसके चलते कई लोग मस्सो को काट लेते है। जिससे मस्से शरीर मे ओर जगह फैलने लगते हैं। इस पोस्ट के जरिये जानते है मस्सो का घरेलू उपचार।



Warts (मस्से) Treat Tips

  • मस्से (Warts) होने के कारण
  • मस्से होने का मुख्य कारण ह्यूमन पैपिल्लोमा वायरस है
  • मस्से संक्रमण के कारण फैलते है।
  • संक्रमित व्यक्ति की वस्तुएं को इस्तेमाल करने से 
  • संक्रमण शरीर मे कटी फटी जगह से वायरस का प्रवेश करने पर होता है।
  • मस्से (Warts) के घरेलू उपचार
  • जब आप किसी मस्से से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हो तो अपने हाथों को नियमित रूप से धोवे।
  • चुने को मस्से पर लगाने से मस्से सुख जाएंगे ओर गिर जाएंगे जब तक मस्से सुख कर गिर न जाये तब तक चुने को रोज दिन 2 से 3 बार लगाए।
  • कच्चे आलू को नियमित रूप से मस्से पर लगाकर रखने से मस्सों से छुटकारा मिल जायेगा।
  • लहसुन को हल्का पिसकर उसे मस्से पर रखकर पट्टी से बांध लें। इससे भी मस्सों से छुटकारा मिलता है।
  • बरगद के पत्तो के रस को मस्सो पर लगाने से भी मस्सो से छुटकारा मिलता है।
  • प्याज के रस को मस्सो पर लगाने से भी मस्सो में आराम मिलता है।
  • कसीसादी तैल को मस्सो पर लगाकर पट्टी बांध दे ऐसा रोज करते रहे इससे भी मस्सो से आराम मिलेगा।
आपको हमारी पोस्ट कैसी लगी please comment ओर share जरूर करे।। इस ब्लॉग को follow करना ना भूले।

नारसिंह चूर्ण के बेमिसाल फायदे, पाये शेर जैसी ताकत | शरीर को बनाए वज्र के समान |

  नारसिंह चूर्ण के घटक द्रव्य ओर बनाने की विधि : शतावरी, गोखरू, छिलके निकाले हुए तिल और विदारीकन्द 64 -64 तोले वाराहीकन्द, गिलोय 1-1 स...