Monday 27 August 2018

Thyroid Treatment In Ayurveda

  • Thyroid
Thyroid गले मे पाये जानेे वाली ग्रन्थि होती हैं। यह गले के आगे वाले हिस्से में वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागो में पाई जाती हैं, इसका आकार तितली के समान होता हैं। इससे थायरोक्सिन हॉर्मोन बनता है,इस हॉर्मोन के संतुलन बिडग जाने से यह रोग हो जाता है।

थाइराइड शरीर की Metabolic क्रिया को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही यह आयोडिन का उपयोग करके आवश्यक थाइराइड हॉर्मोन्स बनाता है ओर शरीर के सभी हिस्सों तक पहुँचता है।

थाइराइड की समस्या महिलाओं में ज्यादा होती है। महिलाओं में यह रोग समय के साथ बढ़ता जाता है तथा कई बार इसके लक्षण पता होने तक इस रोग की शिकार हो चुकी होती है क्योकि इसके लक्षण समझ मे ही नही आते हैं। सबसे सामान्य थायराइड प्रॉब्लम होती है वो है थायराइड हॉर्मोन्स का सही मात्रा में प्रोडक्शन ना होना।
  • यह दो प्रकार का हो जाता है।
  • हाइपो थयरोइडिस्म
  • इस अवस्था मे व्यक्ति के शरीर मे थायरोक्सिन का स्त्राव अवश्यकता से कम होने लगता है।
  • हाइपर थायरोइडिस्म
  • इस अवस्था मे व्यक्ति के शरीर मे थयरोक्सिन का स्त्राव आवश्यकता से अधिक होने लगता है।
  • Thyroid के कारण
  • दवाइयों के ज्यादा इस्तेमाल ओर उनका साइड इफेक्ट से थायराइड की समस्या हो जाती है।
  • शरीर मे आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने पर भी थायराइड रोग हो जाता हैं।
  • आनुवंशिक कारण
  • ज्यादा तनाव लेने से थायराइड ग्लैंड पर असर पड़ता है।
  • गर्भावस्था के समय हॉर्मोन्स के परिवर्तन इस कारण भी थायराइड की समस्या हो जाती है
  • प्रदूषण भी थायराइड का कारण हो सकता है।
  • Thyroid के लक्षण
  • वजन बढ़ना
  • जल्द थकान महसूस होना
  • त्वचा और नाखून का रूखापन होना
  • यादाश्त कमजोर होना
  • मांसपेसियों ओर जोड़ो में दर्द होना
  • आंखों में सूजन आना
  • पीरियड्स में बदलाव आना
  • Thyroid का आयुर्वेदिक उपचार
  • कचनार- कचनार थायराइड के उपचार के लिए बहुत ही लाभकारी है। कचनार की छाल को लेकर उसका काढ़ा तैयार कर लेवें, उसे दिन में 2 से 3 बार लेते रहे। ऐसा रोज करते रहने से थायराइड से छुटकारा मिल जाता है।
  • अश्वगन्धा- अश्वगन्धा के चूर्ण का 1 चम्मच रोज सुबह शाम दूध के साथ लेने से थायराइड में फायदा होता है।
  • मुलेठी- मुलेठी के सेवन से थायराइड ग्रंथि में संतुलन बना रहता है। मुलेठी के सेवन करते रहने से थायराइड से होने वाली थकान दूर होती है और साथ ही थायराइड की समस्या से छुटकारा मिलता है।
  • ब्राह्मी- ब्राह्मी थायराइड को उत्तेजित करने में मदद करता है, इसके निरंतर उपयोग से थायराइड में आराम मिलता है।
  • Thyriod का घरेलू उपचार
  • थायराइड की समस्या से छुटकारा पाने के लिए दूध ज्यादा से ज्यादा पिये, थायराइड में दूध बहुत ही असरकारक होता है।
  • लौकी का जूस थायराइड में बहुत ही फायदेमंद होता है, इसे रोज सुबह खाली पेट पिने से थायराइड की समस्या दूर हो जाती है।
  • नारियल पानी थायराइड को नियंत्रित करता है, रोज नारियल पानी पीने से थायराइड में आराम मिलता है।
  • काली मिर्च के सेवन से थायराइड को नियंत्रित किया जा सकता है। इसका सेवन आप किसी भी प्रकार से कर सकते है।
  • विटामिन ए थायराइड को कम करने में मदद करता है। हरी पत्तेदार सब्जियों ओर गाजर आदि में विटामिन ए अधिक मात्रा में पाया जाता है।
  • योग
  • योग यह प्राकतिक उपचार होता है, योग शरीर मे किसी भी रूप में फायदा पहुँचता है। योग करने से थायराइड से छुटकारा मिल जाता है। रोज सुबह 20 से 30 मिनट तक योग करने से थायराइड की समस्या पूर्णतया दूर हो जाती है। योग, योग गुरु से प्रशिक्षण लेने के बाद करे। यह योग निम्न है- मत्यासन, हलासन, विपरीत कर्णी आदि।

Friday 24 August 2018

Cervical Pain (गर्दन दर्द) का पूर्ण इलाज

  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द)
सर्वाइकल पैन यानि गर्दन का दर्द जो Cervical Spondylosis के नाम से भी जाना जाता है। यह दर्द आम तौर पर गर्दन को झुकाकर काम करने वालो को अधिक होता है। दिन भर बैठे रहना,सीधा ना चलना, आदि की वजह से हमारी गर्दन में दर्द होने लगता है।

यह दर्द गर्दन के निचले हिस्से ओर कंधो के जोड़ो में होने लगता है। इससे गर्दन घुमाने में परेशानी होती है। सर्वाइकल पैन से अधिक उम्र के व्यक्तिओं के साथ साथ छोटे उम्र के बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं।

इस बीमारी में रीढ़ की हड्डी के डिस्क के बीच की जगह कम होने लगती है ओर नाड़ी पर दबाव बढ़ने लगता है। जिससे जहाँ से होकर ये नाड़ियां जाती है, वहा पर भी दर्द और झुनझुनाहट होने लगता है। सर्वाइकल के इस दर्द को नजरअंदाज करने पर ये दिनों दिन बढ़ता जाता है। इस पोस्ट के जरिये आपको हम इसके बारे में जानकारी देंगे।
  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द) का कारण
  • लम्बे समय तक गर्दन को झुकाये रखना
  • लम्बे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से 
  • ज्यादा ड्राइविंग करना ओर भारी हेलमेट पहनने रखना
  • ऊचे तकिये का प्रयोग करना
  • शरीर मे कैल्शियम और विटामिन डी की कमी होना
  • उम्र के बढ़ने के साथ साथ हड्डियों को क्षय होना
  • शारीरक श्रम का अभाव
  • ज्यादा भारी वजन सिर पर उठाने से सर्वाइकल पैन होता है
  • गर्दन पर अधिक तनाव आना
  • रीढ़ की हड्डी पर चोट आ जाना।
  • मोटापा आदि।
  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द) का लक्षण
  • सिर का दर्द
  • गर्दन में दर्द के साथ चक्कर आना
  • गर्दन ओर कंधो में कड़ापन महसूस होना
  • गर्दन के हिलाने पर पीसने जैसी आवाज आना
  • हाथ ओर उंगलियो में सुन्न हो जाना
  • गर्दन के आस पास की नसों में सूजन का आना
  • खाँसते ओर छीकते समय गर्दन में दर्द होना
  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द) का आयुर्वेदिक उपचार
  • महानारायण तेल- यह तेल सर्वाइकल के दर्द में आराम देता है, इस तेल की दिन में 2 से 3 बार मालिश रोजाना करते रहे दर्द में काफी हद तक आराम मिलता है।
  • दशमूल तेल- दशमूल तेल जोड़ो के दर्द के लिए बहुत उपयोगी होता है, इस तेल को हल्का गर्म करके दर्द वाली जगह हल्की मालिश करने से दर्द में तुरन्त आराम मिलता है।
  • त्रिफला चूर्ण- इस चूर्ण की रोज 1 चम्मच सुबह शाम लेने से सर्वाइकल पैन मे आराम मिलता है  
  • सिंघनाद गुग्गलु- सिंघनाद गुग्गलु जोड़ो के दर्द के लिए काफी असरदार माना गया है,सिंघनाद गुग्गलु की 2-2 गोली सुबह शाम रोज लेते रहने से सर्वाइकल पैन में आराम मिल जाता है।
  • Cervical Pain (गर्दन का दर्द) का घरेलू उपचार
  • सही तरीके के सोना चाहिए, सोते समय बिस्तर ज्यादा मुलायम ना हो तथा तकिया ज्यादा ऊँचा नही होना चाहिए, इन सब तरीको से आप सर्वाइकल पैन से बच सकते हैं।
  • सरसो ओर लोंग के तेल को अच्छे से मिक्स करके मालिश करने से भी दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • दर्द को कम करने के लिए ठंडा ओर गर्म सेक करते रहे इससे भी सर्वाइकल के दर्द में आराम मिलता है।
  • सर्वाइकल पैन का कई बार तनाव कारण हो जाता है, इसलिए जितना हो सके तनाव को कम करने की कोशिस करे।
  • लहसुन को सरसों के तेल में गर्म करके दर्द की जगह मालिश करने से वह दर्द और सूजन दोनो को कम हो जाते हैं।
  • योग
  • सर्वाइकल पैन से बचने के लिए योग एक प्राकृतिक उपाय है।निरन्तर योग करते रहने से शरीर मे लचीलापन बना रहता है ओर मन को शांति मिलती है। सर्वाइकल पैन के लिए विभिन्न योग जैसे- मत्स्यासन, धनुरासन, भुजंगासन आदि योग करना चाहिए, ध्यान रहे यह सभी योग, योग गुरु से प्रशिक्षण के बाद करे।

Tuesday 21 August 2018

Common Cold (जुखाम) Treatment In Ayurveda

  • Common Cold (जुखाम)
Common Cold जिसे नजला नाम से भी जाना जाता है।यह सबसे ज्यादा होने वाले संक्रामक रोगों में से एक है।जुखाम वायरस (विषाणु) द्वारा फैलने वाला संक्रमण होता है, जो हमारी स्वसन क्रिया के आगे वाले हिस्से को प्रभावित करता है।

जुखाम की कोई स्थायी चिकित्सा नही है। यह रोग 4 से 5 दिनों में स्वतः ही ठीक हो जाता है। लेकिन अक्सर जुखाम को साधारण समझकर ध्यान नही दिया जाता जिसके गंभीर परिणाम हो जाते हैं जैसे- निमोनिया, सायनोसाइटिस आदि बीमारियों का भी कारण बन जाता है।

जुखाम होने पर लोगो के सिर व शरीर मे दर्द ओर भारीपन महसूस होता है जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए जुखाम से बचने के लिए आयुर्वेदिक उपचार बता रहे हैं, लेकिन इससे पहले हम आपको इसके बारे में थोड़ी जानकारी देंगे।
  • Common Cold (जुखाम) के कारण
  • एलर्जी जैसे-धूल, धुंआ, मौसम का बदलाव आदि
  • इम्युनिटी पॉवर का कम होना
  • वायरस ओर बैक्टीरिया का इन्फेक्शन
  • ठंडी चीजों का अधिक सेवन
  • बारिश में ज्यादा भीगना
  • ठंडी से गरम ओर गरम से ठंडी चीजों का सेवन
  • नाक साफ ना करना
  • Common Cold (जुखाम) के लक्षण
  • नाक बहना, नाक का बन्द होना
  • लगातार छींके आना
  • शरीर का टूटना व दर्द होना
  • सिर दर्द होना,सर्दी लगना
  • शरीर का तापमान बढ़ना
  • गले मे खिंच खिंच होना
  • बुखार हो जाना
  • Common Cold (जुखाम) का आयुर्वेदिक उपचार
  • सितोपलादि चूर्ण- सितोपलादि चूर्ण जुखाम के लिये सबसे ज्यादा उपयोगी है। इसके चूर्ण की  1/2 चम्मच दिन में 2 बार शहद के साथ रोज लेने से जुखाम ठीक हो जाता है।
  • लक्ष्मीविलास रस: लक्ष्मीविलास रस की की 1-1 गोली रोज सुबह शाम पानी के साथ लेने से जुखाम में आराम मिलता है।
  • गिलोय: गिलोय का काढ़ा जुखाम में बेहद फायदेमंद होता है इसके काढ़े को रोज सुबह शाम पीने से जुखाम पूर्णतया ठीक हो जाती है।
  • मुलेठी: मुलेठी के चूर्ण को शहद के साथ सुबह शाम लेने से जुखाम के साथ साथ खांसी भी ठीक हो जाती है।
  • Common cold (जुखाम) के घरेलू उपचार
  • जुखाम होने पर भाप लेने से आराम मिलता है पानी मे विक्स डालकर उसे उबाले ओर उसकी भाप लेवे जिससे जुखाम में फायदा होगा।
  • 1 चम्मच निम्बू रस और 2 चम्मच शहद को मिलाकर लेने से गले की खराश के साथ जुखाम में भी आराम मिलेगा।
  • नहाने के बाद सरसो के तेल को उँगली से नाक में लगाने से जुखाम से बचाव होता है।
  • भुने हुये चने को रुमाल में बांधकर सूंघने से जुखाम में आराम मिलता है।
  • तुलसी, अदरक आदि के रस को शहद के साथ लेने से जुखाम में आराम मिलता है।

Monday 13 August 2018

Corn (कदर) Treatment In Ayurveda

Corn एक ऐसी समस्या है, जिसका लोगो को सामना करना पड़ता है। corn को आयुर्वेद में कदर कहते हैं। यह विशेष तौर पर मोटी त्वचा पर उत्पन्न होती है जैसे पेर के तलवे, यह रगड़ ओर दबाव के कारण प्रतिक्रिया करके उत्पन्न होने लगती है।

सख्त त्वचा समय के साथ कॉर्न का रूप धारण कर लेती है। कॉर्न सख्त त्वचा में एक डॉट की तरह उत्पन्न होता है और बाद में यह दबाव के कारण बढ़ने लगता है। इसके कारण बहुत तेज दर्द होता है जिससे चलने फिरने में में तकलीफ होती है। कॉर्न का जल्द से जल्द इलाज नही किये जाने पर इससे छुटकारा पाना मुश्किल होता हैं। इस पोस्ट के जरिए हम आपको कॉर्न की जानकारी देते हैं।
  • Corn (कदर) के लक्षण
  • त्वचा को छूने पर दर्द होना 
  • चलने फिरने में दर्द होना
  • त्वचा पर उभरी हुई गांठ दिखाई देना
  • त्वचा खुरदरी ओर मोटी दिखाई देना
  • Corn (कदर) होने के कारण
  • टाइट जुते पहनना ओर ठीक साइज के ना पहनना
  • चलते समय पेर के पंजों पर ज्यादा दबाव डालना
  • पैरो की असामान्य संरचना
  • चलने में असामान्यता
  • कांटा या किसी वस्तु के घुसने से
  • Corn (कदर) का आयुर्वेदिक उपचार
  • मुलेठी: मुलेठी कॉर्न के दर्द को कम करती है। मुलेठी के चूर्ण को सरसों के तेल में मिलाकर पेस्ट बना ले, इसे रात को सोते समय कॉर्न पर लगाकर छोड़ दे, जिससे कॉर्न की सख्त त्वचा नरम हो जाएगी और कॉर्न धीरे धीरे कम होता जायेगा। For pure and best quality herbs check here
  • अरंडी तेल: अरंडी का तेल कॉर्न में बहुत ही उपयोगी होता है इस तेल को हल्का गर्म करके कॉर्न वाली जगह पर रोजाना मालिश करने से कॉर्न ठीक हो जायेगा।
  • बेकिंग सोडा: यह कॉर्न की सख्त ओर मृत त्वचा को हटाने में सहायता करता है। गर्म पानी मे बेकिंग सोडा को डालकर उस पानी मे पैरो को भिगोकर रखे यह क्रिया रोज 15 से 20 मिनट तक करे कॉर्न में आराम मिलता है।
  • Corn (कदर) का घरेलू उपचार
  • निम्बू कॉर्न के उपचार में फायदेमंद होता है निम्बू का एक स्लाइस कॉर्न वाली जगह पर लगाकर बांध देवे, ऐसा रोज करने से कॉर्न में आराम मिलता है।
  • कच्चे आलू की स्लाइस को कॉर्न पर लगाकर बांध देने से कॉर्न धीरे-धीरे कम होने लगता है।
  • कच्चे पपीते के एक टुकड़े को कॉर्न पर रगड़ कर उसे कपड़े से बांधकर रातभर छोड़ दे, ऐसा रोज करने से कॉर्न में आराम मिलता है।
  • लहसुन को पीसकर उसका पेस्ट कॉर्न पर लगातार उस जगह को कपड़े से बांधकर रात भर छोड़ दे इससे भी कॉर्न ठीक हो जाती हैं।
  • सावधानी
  • Corn (कदर) को किसी ब्लेड ओर तेज धार वाली वस्तु से काटने का प्रयास ना करे, ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है।

Saturday 11 August 2018

Asthma (दमा) Treatment In Ayurveda

Asthma (दमा) फेफड़ो की एक बीमारी जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। सांस लेने की इस पक्रिया के समय एक सीटी जैसी आवाज आती है।

Asthma (दमा) ऐसा रोग है जो बच्चों से लेकर किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है। इस स्थिति में सुबह ओर शाम के समय खासी की समस्या बढ़ जाती है।
अस्थमा का दौरा पड़ने पर श्वास नलिका बंद हो जाती है जिसके कारण शरीर मे महत्वपूर्ण अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है। अस्थमा के दौरे से रोगी की मित्यु भी हो सकती है। अस्थमा को ठीक नही किया जा सकता लेकिन इसको नियंत्रण किया जा सकता है ताकि रोगी सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। इस पोस्ट के जरिये Asthma (दमा) का आयुर्वेदिक ओर घरेलू उपचार के बारे में बताएंगे लेकिन उससे पहले हम आपको अस्थमा के बारे में जानकारी देंगे।
  • Asthma (दमा) के कारण
  • श्वास नली में संकमण होना
  • फेफड़ो का संक्रमण
  • एलर्जी, छोटे छोटे धूल के कण
  • जीवाणु
  • प्रदूषण
  • फंगस
  • पालतू जानवरों के ज्यादा संपर्क में रहना
  • अनुवांशिक कारण
  • लंबे समय तक सर्दी जुकाम रहना
  • Asthma (दमा) के लक्षण
  • सांस लेने में तकलीफ होना,सांस फूलना
  • सांस की नालियों में सूजन आना
  • कम रक्तचाप
  • थकावट महसूस होना,पसीना आना
  • इस रोग में सुखी खासी हो जाती है साथ ही सीने में जकड़न ही जाती है
  • सोते समय तकलीफ होना
  • छाती में कफ जमा हो जाना
  • बेहोशी आना आदि
  • Asthma (दमा) का आयुर्वेदिक उपचार
  • कंटकारी: कंटकारी अस्थमा के रोगी के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, यह फेफड़ो ओर गले मे जमे हुए कफ को हटा देता है जिससे अस्थमा रोगी को आराम मिलता है।
  • पुष्करमूल: इसमे एंटीबैक्टीरियल गुण पाये जाते है इसके चूर्ण को रोज सुबह शाम लेने से अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • दालचीनी: दालचीनी के चूर्ण को शहद के साथ लेने पर बलगम निकलने में सहायता मिलेगी ओर साथ ही अस्थमा में आराम मिलेगा।
  • वासा: वासा जिसे अडूसा भी कहते है यह कफ के स्त्राव को कम करता है साथ ही खासी को ठीक करता है। इसमें ब्रोंकोडायलेटर गुण पाये जाते है। इस गुण के कारण इसका उपयोग अस्थमा में किया जाता है ओर अस्थमा को दूर करने में सहायक है।
  • Asthma (दमा) का घरेलू उपचार
  • अंजीर को रातभर पानी मे भिगोकर रख दे और सुबह उसे खाली पेट खा ले, इससे अस्थमा रोगी को आराम मिलता है।
  • शहद कफ को हटाने में सहायक होता है रोज दिन में 3 से 4 बार एक गिलास पानी मे शहद मिलाकर पीने से अस्थमा रोग में फायदा मिलता है।
  • हल्का ओर जल्दी पचने वाला भोजन ले जैसे- मसूर, मूंग दाल आदि।
  • तुलसी के पत्तो को पीसकर उसमें शहद मिलाकर खाने में से भी अस्थमा में आराम मिलता है।
  • सरसों के तेल को हल्का गर्म करके छाती पर मालिश करने से अस्थमा में बहुत आराम मिलता है।
  • योग
  • अस्थमा रोग में आयुर्वेदिक ओर घरेलू उपचार के साथ अगर योग भी करे तो बहुत जल्दी आराम मिलता है।अस्थमा रोगी को रोज सुबह नियमित रूप से कपालभाति, अनुलोम विलोम कम से कम 10 से 15 मिनट करना चाहिए।

Tuesday 7 August 2018

Gastroesophageal Reflux Disease (GERD/ उर्ध्वगत पित्त) Treat In Ayurveda

आज कल की भाग दौड़ भरी लाइफ में बदलती जीवन शैली ओर खानपान की गलत आदतों से कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

इनमे से एक है  GERD  (Gastro Esophageal Reflux Disease) जिसे आयुर्वेद में इसे उर्ध्वगत पित्त के नाम से जाना जाता है।

इसमें अम्ल ओर पित्त ऊपर की गति करते है। इस रोग में पेट के अंदर गई हुई चीजों का वापस खाने की नली में आना एसिड रिफ्लक्स कहलाता है। कभी कभी थोड़ा बहुत खाने का वापस आना आम बात है, लेकिन बार बार खाने का आना बहुत नुकसानदायक होता है। जिससे हार्ट बर्न,एसिड इनडाइजेशन,अल्सर आदि समस्या हो जाती है। इस पोस्ट के जरिये हम आपको इसके कारण, लक्षण, और उपचार के बारे में जानकारी देंगे।
  • GERD (उर्धगत पित्त ) के कारण  
  • मोटापा,बुढ़ापा
  • कुछ महिलाओ में गर्भावस्था 
  • तेलिये पर्दाथ, तेज मिर्च मसलों का अधिक सेवन 
  • अनियमित ओर असंतुलन आहार का सेवन
  • खाने के बाद तुरंत सो जाना 
  • भूख ना होने पर अधिक खाना
  • मेदे से पदार्थ ओर जंक फूड का अधिक सेवन 
  • धूम्रपान ओर शराब का अधिक सेवन 
  • अधिक वसा और कैलोरीज वाले भोजन का अधिक मात्रा में सेवन 
  • रात में पूरी नींद ना लेना
  • GERD (उर्धगत पित्त) के लक्षण 
  • सीने में दर्द,जलन
  • खाने खाने के बाद तुरंत उल्टी हो जाना
  • खट्टी डकार का आना
  • पेट भरा हुआ लगना
  • बेचैनी ओर घबराहट का होना
  • हार्ट बर्न ओर पेट और पीठ के निचले हिस्से में जलन महसूस होना
  • गैस,कब्ज आदि का होना
  • खून की कमी दिखाई देना
  • GERD (उर्धगत पित्त) का आयुर्वेदिक उपचार
  • अविपत्तिकर चूर्ण: यह चूर्ण अम्ल पित्त के उपचार के लिए सबसे उपयोगी होता है, साथ ही साथ खट्टी डकार, जलन,उल्टी की समस्या से निजात दिलाता है। इस चूर्ण को रोज खाने से आधा घंटा पहले इसकी 1 चम्मच लेने से GERD में निजात मिलेगा।
  • अश्वगंधा: अश्वगंधा एसिड रिफ्लक्स में बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके चूर्ण को रोज दूध के साथ लेने से उर्धगत पित्त से छुटकारा मिलता है, साथ ही यह दिमाग के संतुलन में सहायक  होता है। यह थकान को  दूर करके अच्छी नींद में सहायक है।
  • मुलेठी: मुलेठी जो मार्केट आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इसकी जड़ हार्ट बर्न,ऊल्टी GERD अच्छा काम करती है, तथा इससे छुटकारा भी दिलाती है।
  • आमलकी चूर्ण: आमलकी चूर्ण पित्त दोष फायदेमंद होता है। यह विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है। इसके चूर्ण को रोज लेने से GERD से छुटकारा मिलता है।
  • नारियल पानी: नारियल पानी का रोज सेवन करने से भी GERD में बहुत फायदा मिलता है। इसके पानी को रोज सुबह पीना चाहिए
  • योग: योग से GERD से छुटकारा मिल सकता है। रोज सुबह सूर्य नमस्कार,सुखासन,नौकासन,शवासन आदि योग करते रहने से इस रोग में फायदा होता है। यह सभी योग करने से पहले योग गुरु से शिक्षा लेवे।   
  • घरेलू उपचार: खाना खाने के बाद गुड़ का सेवन करे, कच्ची सॉफ के सेवन से GERD में फायदा होता है,एक गिलास दूध में एक चम्मच घी डालकर पिने से भी फायदा होता है।
  • परहेज
  • कच्चे प्याज,तेज मसाले,आलू आदि 
  • वसायुक्त आहार जैसे- पनीर, दूध से बने पदार्थ, मलाई 
  • कैफीन युक्त पेय
  • वसायुक्त मॉस,तला हुआ मॉस आदि 

Thursday 2 August 2018

Arthritis (गठिया) Treatment In Ayurveda

आर्थराइटिस जिसे गठिया रोग के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गठिया खराब वात दोष के कारण होता है यह रोग जोड़ो से सम्बंधित होता है जो एक बार होने के बाद पूरे शरीर को प्रभावित करता है इस रोग में दर्द असहनीय होता है।

यह रोग अधिकतर 40 से 50  वर्ष की आयु में होता है, स्त्रियों को ये रोग अधिक प्रभावित करता है यह रोग होने पर रोगी चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है जोड़ो में सूजन आ जाती है। कभी कभी दर्द के कारण बुखार भी हो जाता है ओर जोड़ो का आकार भी टेड़ा हो जाता है।

ठंड के मौसम में गठिया के रोगी को अधिक परेशानी होती है इसलिए ठंड से बचने के प्रयास करने चाहिए। रोग के लक्षण पहचानकर सही समय पर इसका उपचार कराये। इस पोस्ट के जरिये हम आपको गठिया लक्षण, कारण ओर आयुर्वेदिक उपचार बताएंगे
  • Arthritis ( गठिया) के कारण
  • खराब जीवनशैली
  • अनियमित खान पान
  • ( कब्ज)Constipation
  • गैस, एसिडिटी
  • मानसिक श्रम ज्यादा होना
  • Arthirtis (गठिया) के लक्षण
  • घुटनो ओर जोड़ो में दर्द होना
  • जोड़ो में सूजन का आना
  • हाथ पैर का टेड़ा होना
  • चलने फिरने में असमर्थ होना
  • जोड़ो के आसपास की त्वचा का लाल होना
  • Arthritis (गठिया) का आयुर्वेदिक उपचार
  • महानायरण तेल: महानायरण तेल जोड़ो के दर्द और सूजन के लिये फायदेमंद आयुर्वेदिक दवा है। इस तेल की मालिश करने से जोड़ो की अकडन ठीक होती है और लचीलापन बढ़ जाता है तथा गठिया रोग में आराम मिलता है।
  • योगराज गुग्गलु: गठिया रोग में योगराज गुग्गलु सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा है, इसकी 2 गोली दिन में 2 से 3 बार लेवे इसको लेने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह आवश्यक है
  • पारिजात: पारिजात के पत्तो को उबालकर उसका काढ़ा तैयार कर के रोज सुबह शाम इसको लेने से गठिया रोग में फायदा मिलता है।
  • स्टीम बाथ: गठिया रोग में स्टीम बाथ बहुत ही उपयोगी होता है इससे जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है तथा सूजन भी कम जाती है।
  • फिजियोथेरेपी: फिजियोथेरेपी पैर की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है साथ मे जोड़ो की को गति और लचीलेपन को बनाई रखती है इससे गठिया रोग में बहुत आराम मिलता है।
  • परहेज
  • अधिक तेल ओर मिर्च मसाले से परहेज रखे, अपनी डाइट में प्रोटीन की अच्छी मात्रा का उपयोग करे। चाय,कॉफी, दही, ध्रूमपान का सेवन वर्जित है।

नारसिंह चूर्ण के बेमिसाल फायदे, पाये शेर जैसी ताकत | शरीर को बनाए वज्र के समान |

  नारसिंह चूर्ण के घटक द्रव्य ओर बनाने की विधि : शतावरी, गोखरू, छिलके निकाले हुए तिल और विदारीकन्द 64 -64 तोले वाराहीकन्द, गिलोय 1-1 स...