Tuesday 11 September 2018

Leucorrhea (white Discharge) Treatment In Ayurveda

  • Leucorrhea (white Discharge)
Leucorrhea जिसे आम भाषा मे white Discharge कहते हैं। इसे ही आयुर्वेद में श्वेत प्रदर कहा जाता है। यह महिलाओं में होंने वाला रोग है। इस रोग में योनि मार्ग से श्वेत, पिले, हल्के लाल रंग का चिपचिपा गाढ़ा ओर बदबूदार स्त्राव होता है। लेकिन ये स्त्राव अधिकतर श्वेत रंग का होता है इसी कारण इसे श्वेत प्रदर कहते हैं।

Leucorrhea महिलाओं में होने वाली आम समस्या है,जो महिलाओं में पीरियड्स के पहले ओर बाद में सामान्य रूप से होती है। यह समस्या लम्बे समय तक बनी रहने की वजह से गुप्तांगो में जलन, खुजली ओर बेचैनी होती है, अगर ऐसी समस्या रहे तो इसका इलाज अवश्य लेना चाहिए।

इस रोग को नजरअंदाज करने पर गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है,जो जननांगों ओर प्रजनन से संबंधित रोगों का कारण भी बन सकती है। हम इस पोस्ट के जरिए आपको इसके कारण, लक्षण,ओर उपचार के बारे मे जानकारी देंगे।

  • Leucorrhea (White Discharge) के कारण
  • मूत्र मार्ग में संक्रमण
  • योनि में फंगल संक्रमण
  • खून की कमी
  • योनि को ठीक प्रकार से साफ ना रखना
  • शरीर मे रोगप्रतिरोधक क्षमता का कम होना
  • गलत तरीके से संभोग
  • तेज मिर्च मसाले व तले हुए भोजन का अधिक सेवन
  • ज्यादा गर्भ निरोधक दवाओं का सेवन
  • बार बार गर्भपात के कारण
  • पोषण की कमी
  • Leucorrhea (White Discharge) के लक्षण
  • कमजोरी महसूस होना
  • हाथ पैरों ओर कमर में दर्द होना
  • चक्कर आना
  • शरीर मे भारीपन लगना
  • चिड़चिड़ापन, जी मचलाना
  • भूख ना लगना
  • आखों के नीचे काले घेरे होना
  • योनि भाग में खुजली होना
  • पेट मे भारीपन
  • शौच साफ न होना, बार बार पैशाब आना


  • Leucorrhea (white Discharge) का आयुर्वेदिक उपचार
  • पुष्यनुग चूर्ण- यह चूर्ण Leucorrhea के लिए रामबाण औषधि है। इस चूर्ण को रोज सुबह शाम 1-1चम्मच लेने से Leucorrhea रोग से छुटकारा मिलता है।
  • लोध्र- योनि में संक्रमण के लिए लोध्र चूर्ण का इस्तेमाल किया जाता है, इस चूर्ण की रोज 1-1 चम्मच सुबह शाम लेने से संक्रमण के साथ साथ Leucorrhea में फायदा होता है।
  • प्रदान्तक लौह- इसके उपयोग से हाथ पैरों ओर कमर में होने वाले दर्द को आराम मिलता है साथ कि अनियमित मासिक धर्म नियमित हो जाता है ओर साथ ही Leucorrhea रोग से छुटकारा मिलता है।
  • अश्वगन्धा- इस चूर्ण के सेवन से शरीर मे होने वाली कमजोरी दूर होती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • Leucorrhea (White Discharge) के घरेलू उपचार
  • अनार का रोज सेवन करे, इसके दाने ओर रोज इसका रस पीने से Leucorrhea में आराम मिलता है।
  • भुने हुए चने को रोज अपनी डाइट में इस्तेमाल करने से वाइट डिस्चार्ज में फायदा होता है।
  • अंजीर भी वाइट डिस्चार्ज में बहुत ही उपयोगी है,रात को अंजीर भिगो के रख देवे उसे सुबह खाली पेट खाने से वाइट डिस्चार्ज में फायदा होता है।
  • दही का सेवन अपने खाने में रोज करे, दही में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है,संक्रमण से बचाता है।
  • फिटकरी के पानी से रोज योनि को दिन में 2 बार साफ करे जिससे किसी प्रकार का संकमण ना हो।
  • योग
  • योग सभी रोगों में प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में काम करता है, Leucorrhea में आयुर्वेदिक उपचार के साथ साथ योग करने से भी Leucorrhea से छुटकारा पा सकते है। योग जैसे- अनुलोम विलोम, नोकासन, भ्रामरी, शलभासन करे ये सभी योग, योग गुरु से प्रशिक्षण के बाद करे।

Monday 3 September 2018

Fatty Liver (Hepatomegaly) Treatment In Ayurveda

  • Fatty Liver (Hepatomegaly)
Liver हमारे शरीर का सबसे मुख्य अंग होता है, यह शरीर की सबसे बड़ी ग्रथि हैं। Liver में सामान्य तौर Fat का होना आम बात होती है, लेकिन यह Liver के कुल वजन का 5 से 10% हो जाये, तो Fatty Liver Disease होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसे Hepatomegaly कहा जाता है।

Liver हमारे शरीर की एक छलनी होती है जो पचित भोजन से आये हुए नुकसानदायक प्रदार्थो को रोक लेता है ताकि वो शरीर के बाकी अंगों तक नही पहुँच पाए। इस प्रकिया से हमारे बाकी अंग सुरक्षित रहते हैं। ज्यादा Fat का जमा होने Liver के function को प्रभावित करता है जिससे शरीर न के बराबर काम करने लगता है।

इस बीमारी का पता चलने पर इलाज कराना जरूरी है नही तो Liver को नुकसान हो सकता है, हम पोस्ट के जरिये आपको इसके लक्षण, कारण ओर उपचार के बारे में बताते है।
  • Fatty Liver (Hepatomegaly) के लक्षण
  •  Liver का साइज बढ़ जाना
  • भूख ना लगना
  • थकान लगना
  • पेट के ऊपरी हिस्से या बीच मे दर्द होना
  • जी मिचलाना
  • शरीर मे कमजोरी
  • गर्दन और बाहों के नीचे काले धब्बे हो जाना
  • जीभ पर मेल जम जाना
  • कब्ज
  • Fatty Liver ( Hepatomegaly) के कारण
  • मोटापा (पेट पर)
  • अनुचित आहार
  • शराब का सेवन
  • डियाबिटीज
  • कॉलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर
  • आनुवंशिक
  • ज्यादा तेलिये प्रदार्थो का सेवन
  • Fatty Liver (Hepatomegaly) का आयुर्वेदिक उपचार
  • कंटकारी- कंटकारी Liver ओर Spleen के Enlargment को कम करने में सहायता करता है। कंटकारी के चूर्ण की 1-1 चम्मच सुबह शाम लेने से आराम मिलता है
  • ग्वारपाठा- यह आम तौर सभी जगह उपलब्ध होता है, इसको लेकर पानी से अच्छे से धो ले तथा इसके अंदर वाले हिस्से में काला नमक और अदरक मिलाकर रोज सुबह सुबह सेवन करने से Hepatomegaly में आराम मिलता है।
  • कुटकी- कुटकी liver से सम्बंधित बीमारियों में बहुत ही फायदेमंद होती है, इसके जड़ का चूर्ण लेकर रोज सुबह शाम 1-1 चम्मच शहद के साथ लेने से Hepatomegaly की समस्या दूर हो जाती है।
  • अरोग्यवर्धनी वटी- इस वटी का सेवन रोज सुबह शाम करने से Hepatomegaly में बहुत अधिक फायदा होता है।
  • Fatty Liver (Hepatomegaly) के घरेलू उपचार
  • करेला Fatty liver के बहुत ही उपयोगी होता है हर रोज करेले की सब्जी और इसका जूस पीने से आराम आराम मिलता है।
  • Fatty liver में विटामिन सी एक अच्छा घरलू उपचार है, अच्छे परिणाम के लिए रोज खाली पेट निम्बू ओर संतरे का जूस पिये।
  • रोजाना खाली पेट पके हुए जामुन खाने से Hepatomegaly की समस्या में आराम मिलता है।
  • रोज कच्चा टमाटर का उपयोग करे इससे भी फैटी लिवर की समस्या दूर हो जाती है।
  • योग
  • योग बहुत ही अच्छा उपाय है, fatty liver से बचने के लिये रोज योग करे, जैसे- सूर्य नमस्कार, कपाल भाती, सर्वांगासन, भुजंगासन आदि। योग बहुत ही सावधानी से ओर योग गुरु से प्रशिक्षण के बाद करे।

नारसिंह चूर्ण के बेमिसाल फायदे, पाये शेर जैसी ताकत | शरीर को बनाए वज्र के समान |

  नारसिंह चूर्ण के घटक द्रव्य ओर बनाने की विधि : शतावरी, गोखरू, छिलके निकाले हुए तिल और विदारीकन्द 64 -64 तोले वाराहीकन्द, गिलोय 1-1 स...