आर्थराइटिस जिसे गठिया रोग के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गठिया खराब वात दोष के कारण होता है यह रोग जोड़ो से सम्बंधित होता है जो एक बार होने के बाद पूरे शरीर को प्रभावित करता है इस रोग में दर्द असहनीय होता है।
यह रोग अधिकतर 40 से 50 वर्ष की आयु में होता है, स्त्रियों को ये रोग अधिक प्रभावित करता है यह रोग होने पर रोगी चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है जोड़ो में सूजन आ जाती है। कभी कभी दर्द के कारण बुखार भी हो जाता है ओर जोड़ो का आकार भी टेड़ा हो जाता है।
ठंड के मौसम में गठिया के रोगी को अधिक परेशानी होती है इसलिए ठंड से बचने के प्रयास करने चाहिए। रोग के लक्षण पहचानकर सही समय पर इसका उपचार कराये। इस पोस्ट के जरिये हम आपको गठिया लक्षण, कारण ओर आयुर्वेदिक उपचार बताएंगे
यह रोग अधिकतर 40 से 50 वर्ष की आयु में होता है, स्त्रियों को ये रोग अधिक प्रभावित करता है यह रोग होने पर रोगी चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है जोड़ो में सूजन आ जाती है। कभी कभी दर्द के कारण बुखार भी हो जाता है ओर जोड़ो का आकार भी टेड़ा हो जाता है।
ठंड के मौसम में गठिया के रोगी को अधिक परेशानी होती है इसलिए ठंड से बचने के प्रयास करने चाहिए। रोग के लक्षण पहचानकर सही समय पर इसका उपचार कराये। इस पोस्ट के जरिये हम आपको गठिया लक्षण, कारण ओर आयुर्वेदिक उपचार बताएंगे
- Arthritis ( गठिया) के कारण
- खराब जीवनशैली
- अनियमित खान पान
- ( कब्ज)Constipation
- गैस, एसिडिटी
- मानसिक श्रम ज्यादा होना
- Arthirtis (गठिया) के लक्षण
- घुटनो ओर जोड़ो में दर्द होना
- जोड़ो में सूजन का आना
- हाथ पैर का टेड़ा होना
- चलने फिरने में असमर्थ होना
- जोड़ो के आसपास की त्वचा का लाल होना
- Arthritis (गठिया) का आयुर्वेदिक उपचार
- महानायरण तेल: महानायरण तेल जोड़ो के दर्द और सूजन के लिये फायदेमंद आयुर्वेदिक दवा है। इस तेल की मालिश करने से जोड़ो की अकडन ठीक होती है और लचीलापन बढ़ जाता है तथा गठिया रोग में आराम मिलता है।
- योगराज गुग्गलु: गठिया रोग में योगराज गुग्गलु सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा है, इसकी 2 गोली दिन में 2 से 3 बार लेवे इसको लेने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह आवश्यक है
- पारिजात: पारिजात के पत्तो को उबालकर उसका काढ़ा तैयार कर के रोज सुबह शाम इसको लेने से गठिया रोग में फायदा मिलता है।
- स्टीम बाथ: गठिया रोग में स्टीम बाथ बहुत ही उपयोगी होता है इससे जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है तथा सूजन भी कम जाती है।
- फिजियोथेरेपी: फिजियोथेरेपी पैर की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती है साथ मे जोड़ो की को गति और लचीलेपन को बनाई रखती है इससे गठिया रोग में बहुत आराम मिलता है।
- परहेज
- अधिक तेल ओर मिर्च मसाले से परहेज रखे, अपनी डाइट में प्रोटीन की अच्छी मात्रा का उपयोग करे। चाय,कॉफी, दही, ध्रूमपान का सेवन वर्जित है।
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